
यूनिक समय, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का अत्यधिक महत्व है। यह दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के लिए विशेष रूप से समर्पित होता है, जिससे भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। इस बार कल, गुरुवार को गुरु प्रदोष व्रत मनाया जाएगा। प्रदोष व्रत हर महीने की कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है।
गुरुवार को पड़ने वाले इस प्रदोष व्रत को गुरु प्रदोष कहा जाता है। इस दिन विशेष रूप से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। त्रयोदशी तिथि के दौरान संध्या समय में भगवान शिव के दर्शन और पूजन से व्यक्ति के जीवन की समस्याएं हल हो जाती हैं और वह सुख, संपत्ति और सौभाग्य का भागी बनता है।
इसके अलावा, इस दिन अनंग त्रयोदशी का व्रत भी रखा जाएगा, जो प्रेम और दांपत्य जीवन के लिए विशेष है। अनंग त्रयोदशी व्रत का पालन करने से दांपत्य जीवन में प्रेम और सामंजस्य बना रहता है। यह व्रत सबसे पहले भगवान शिव, माता पार्वती, और कामदेव तथा रति ने किया था।
गुरु प्रदोष व्रत और अनंग त्रयोदशी के दिन व्रत करने से जीवन की समस्याओं का समाधान हो सकता है और सुख-समृद्धि में वृद्धि हो सकती है।
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