पॉलिटिक्स में कुश्ती के दांव: मुलायम सिंह ने पहली बार सीएम बनने के लिए मारा था ‘चरखा दांव’

मुलायम सिंह यादव का राजनैतिक सफर किसी फिल्मी कहानी से कम रोचक और रोमांचक नहीं है। अक्सर कुश्ती लड़ने के लिए स्कूल और परीक्षा तक छोड़ देने वाले मुलायम सिंह यादव पहले ऐसे नेता रहे जिन्होंने कुश्ती के दांव राजनीति में भी अपनाए। दरअसल, कुश्ती के दांव अचानक लगाए जाते जिसकी सामने वाले को भनक तक नहीं होती। ऐसा ही कुछ कारनामा मुलायम सिंह यादव ने पहली बार मुख्यमंत्री बनने के लिए लगाए थे। तब उनके इस दुस्साहस और राजनैतिक तौर पर बोल्ड फैसले को चरखा दांव का नाम दिया गया था। आइए जानते हैं आखिर क्या था मुलायम का सीएम बनने के लिए चरखा दांव…

1980 में उत्तर प्रदेश में जनता दल की जीत हुई क्योंकि केंद्र में भी वीपी सिंह की जनता दल का ही शासन था। तब सीएम का फैसला करने के लिए मधु दंडवते, मुफ्ती मोहम्मद सईद और चिमन भाई पटेल को केंद्रीय पर्यवेक्षक बनाकर लखनऊ भेजा गया। उस वक्त चौधरी चरण सिंह के बेटे अजीत सिंह को मुख्यमंत्री और मुलायम सिंह यादव को डिप्टी सीएम बनाने का निर्णय लिया गया। तभी मुलायम सिंह यादव सीएम पद के लिए अड़ गए और अपनी दावेदारी ठोंक दी। राजनीति में घमासान मच गया और दिल्ली तक इस बागी तेवर की गर्मी पहुंची। तब वीपी सिंह ने तय किया कि गुप्त वोटिंग के आधार पर सीएम का फैसला होगा।

यही वह वक्त था जब मुलायम सिंह ने कुश्ती के दांव वाला कौशल राजनीति में दिखाया और अजीत सिंह खेमे के 11 विधायक तोड़ लिए। एक तरफ अजीत सिंह को सीएम बनने की बधाइयां मिलनी शुरू हो चुकी थी तो दूसरी तरफ मुलायम सिंह यादव अपने लिए विधायकों की लाइन लगा रहे थे। फैसले का दिन आया और लखनऊ के तिलक हाल के बाहर दोनों खेमों में जबरदस्त रस्साकसी चली। असलहे लहराए गए और जमकर दोनों नेताओं के समर्थकों के बीच नारेबाजी भी हुई। हालांकि गुप्त वोटिंग की गई तो मुलायम सिंह यादव 5 वोटों से चुनाव जीतने में कामयाब रहे और पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गए।

 

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*