बढते जल स्तर से निचले इलाकों के निवासी पलायन को मजबूर
मथुरा। मथुरा में यमुना के बढते जल स्तर ने खतरे का निशान छू लिया है। मथुरा व वृंदावन की कई कालौनियों सहित छह दर्जन गांवों को अपने आक्रोश में ले लिया है। लोग घरों को छोड़कर पलायन कर रहे है।
हरियाणा के हथिनीकुण्ड बैराज से एक ही दिन में आठ लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने के बाद जनपद में बाढ का खतरा पैदा हो गया है। अभी यह पानी यहां आया नहीं है। उससे पूर्व मथुरा के प्रयाग घाट पर यमुना खतरे के निशान के समीप पहुंच गई है। बुधवार की सुबह यमुना का जल स्तर 165.10 मीटर था। अब दोपहर तीन बजे इसमें और वृद्धि होकर खतरे को निशान को टच कर लिया। यहां खतरे का निशान 165.20 मीटर है। यहां विश्राम घाट के सामने खेती वाले इलाके पूरी तरह से डूब गए हैं। गुरुवार को यहां यमुना के जल स्तर में और वृद्धि हो सकती है।
यमुना में वृन्दावन हथनीकुंड से छोड़े गए पानी से मंगलवार की रात्रि यमुना से लगे निचले इलाकों यमुना किनारे बनी कालिंदी विहार, यमुना विहार, पानीघाट क्षेत्र, हुड़दंग नगर,
कालीदह, दुर्गा पुरम, आदि इलाकों को यमुना ने अपने चपेट में ले लिया है। वहीं मथुरा शहर के जयसिंह पुरा इलाके में यमुना का पानी बढने लगा है। निचले इलाके में रह रहे लोगों ने यमुना के बढते हुए जल स्तर को देखते हुए पलायन करना प्रारंभ कर दिया है। वैसे जिला प्रशासन और पुलिस के लोग निचले इलाकों को खाली कराने में जुटा हुए हैं। प्रशासन ने मथुरा वृंदावन में स्कूल कालेजों, धर्मशालाओं में बाढ प्रभावित लोगों के लिए सहायता कैम्प बनाए गए हैं।
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