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नई दिल्ली। सरकार ने 50 करोड़ श्रमिकों के लिए न्यूनतम मजदूरी के योग्य बनने के लिए मजदूरी कोड पर श्रम संहिता को नोटिफाई किया है। 8 अगस्त, 2019 को विधेयक को राष्ट्रपति की सहमति मिली, जिसके बाद कानून और न्याय मंत्रालय ने इसे राजपत्र में प्रकाशित किया. यह सरकार के श्रम सुधार पहल में प्रस्तावित चार श्रम कोडों की श्रृंखला में पहला है. इससे संगठित एवं असंगठित क्षेत्र के 50 करोड़ मजदूरों को लाभ मिलेगा. आपको बता दें कि इस कानून में राज्यों द्वारा कामगारों को डिजिटल मोड से वेतन के भुगतान करना होगा। अब न्यूनतम वेतन मुख्य रूप से स्थान और कौशल पर आधारित होगा।
खत्म किए 44 श्रम संबंधी कानून
केंद्रीय मंत्री गंगवार ने कहा कि 2002 में इस पर श्रम संबंधी समिति ने विचार किया था और कहा था कि श्रम संबंधी 44 कानूनों को कम किया जाए। साल 2014 में हमारी सरकार आने के बाद इस दिशा में पहल हुई और अब हम इसे लेकर आये हैं। उन्होंने कहा कि इस बारे में श्रम संगठनों, राज्यों, उद्योगपतियों से चर्चा की गई है।
यह वास्तव में मजदूरों के हित में है. न्यूनतम मजदूरी में हर पांच साल में संशोधन किया जाएगा. ये चार संहिताएं वेतन, सामाजिक सुरक्षा, औद्योगिक सुरक्षा और कल्याण और औद्योगिक संबंध से जुड़ी हैं.
वेतन पर कोड सभी कर्मचारियों के लिए क्षेत्र और वेतन सीमा पर ध्यान दिए बिना सभी कर्मचारियों के लिए न्यूनतम वेतन और वेतन के समय पर भुगतान को जरूरी बनाता है. मौजूदा समय में न्यूनतम वेतन अधिनियम और वेतन का भुगतान अधिनियम दोनों को एक विशेष वेतन सीमा से कम और अनुसूचित रोजगारों में नियोजित कामगारों पर ही लागू करने के प्रावधान हैं.
इस कानून से सभी नौकरी करने वालों को भरण-पोषण का अधिकार सुनिश्चित होगा और मौजूदा लगभग 40 से 100 प्रतिशत कार्यबल को न्यूनतम मजदूरी के विधायी संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा. इससे यह भी सुनिश्चित होगा कि हर कामगार को न्यूनतम वेतन मिले, जिससे कामगार की क्रय शक्ति बढ़ेगी और अर्थव्यवस्था में प्रगति को बढ़ावा मिलेगा.
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