उत्तराखंड में ऑपरेशन मुक्ति के तहत पुलिस के सर्वे में शहरी क्षेत्र में 119 बच्चे भीख मांगने के धंधे में सक्रिय पाए गए हैं। इनमें 53 बच्चे ऐसे हैं, जो पारिवारिक परिस्थितियों के चलते स्कूल से छुट्टी के बाद भीख मांगते हैं।
ऐसे बच्चों की भी कमी नहीं है, जो गुब्बारे बेचने के साथ कूड़ा बीनने में अपना बचपन गवां रहे हैं। पुलिस ने ऐसे 219 बच्चों को चिन्हित किया है, जिन्हें आपरेशन मुक्ति के तहत शिक्षा के अवसर उपलब्ध कराने की योजना है।
पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था) अशोक कुमार की पहल पर प्रदेश के तमाम जिलों में आपरेशन मुक्ति चल रहा है। पहले चरण में भीख मांगने, कूड़ा बीनने, गुब्बारे बेचने और नशे में लिप्त बच्चों को चिन्हित करने का काम चल रहा है। 15 मई को पुलिस मुख्यालय पर होने वाली बैठक में डीजी अशोक कुमार को जिले वार रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी।
इसी कड़ी में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक निवेदिता कुकरेती ने सीओ सिटी शेखर सुयाल की अगुवाई में टीम गठित कर बिंदाल, आईएसबीटी, दीपनगर और कैंट आदि इलाकों में ऐसे बच्चों को चिन्हित कराने की जिम्मेदारी दी थी।
इन इलाकों के करीब 292 बच्चों को आपरेशन मुक्ति के दायरे में शामिल कर उनकी पारिवारिक कुंडली तैयार की गई है। एसएसपी निवेदिता कुकरेती ने सोमवार को सीओ सिटी सुयाल के साथ सर्वे रिपोर्ट पर चर्चा की।
यह है पुलिस की सर्वे रिपोर्ट
भीख मांगने वाले-119 स्कूल के बाद भीख मांगने वाले बच्चे- 53 कूड़ा बीनने वाले बच्चे-59 गुब्बारे बेचने वाले बच्चे-44 नशे में लिप्त पाए गए बच्चे-तीन बाहरी राज्यों से जुडे़ बच्चे-126
आपरेशन मुक्ति के तहत पहले चरण में शहर क्षेत्र में 292 बच्चों को चिन्हित किया गया है। इनमें भीख मांगने वाले बच्चों की संख्या ज्यादा है। दूसरे चरण में बचपन बचाओ आंदोलन और दूसरी स्वयंसेवी संस्थाओं के माध्यम से इन बच्चों को शिक्षा के अवसर उपलब्ध कराए जाएंगे, ताकि वो आगे चलकर अपने सपनाें को साकार कर सके। साथ ही परिवार के लोगों को जागरूक कर बच्चाें का जीवन स्तर सुधारने को प्रेरित किया जाएगा। सरकारी योजनाओं के माध्यम से परिवार के लोगों को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने की भी योजना है। – निवेदिता कुकरेती, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक
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