लखनऊ। यूपी में योगी आदित्यनाथ के दोबारा मुख्यमंत्री बनने के बाद लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों पर गाज गिर चुकी है। योगी सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति के तहत एक बार फिर कार्रवाई हुई है। मुख्यमंत्री ने उत्तर प्रदेश होम्योपैथी मेडिसिन बोर्ड के निजी शिक्षण संस्थानों में हुए छात्रवृत्ति घोटाले में कड़ी कार्रवाई की है। उन्होंने अपर निदेशक होम्योपैथी और बोर्ड के तत्कालीन कार्यवाहक रजिस्ट्रार प्रोफेसर मनोज यादव, वरिष्ठ लिपिक विनोद कुमार यादव को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। साथ ही दोनों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई का आदेश दिया है। इसके अलावा पूरे मामले की जांच आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन (ईओडब्ल्यू) से कराई जाएगी।
छात्रवृत्ति में हुई वित्तीय अनियमितता की रिकवरी समाज कल्याण विभाग द्वारा की जाएगी। इतना ही नहीं डीएससी यानी डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट का दुरुपयोग करने वाले दो संविदा कर्मियों की संविदा समाप्त की गई। उसमें संविदा लिपिक दिनेश चंद्र दुबे एवं सुषमा मिश्रा शामिल है। दोनों पर केस दर्ज कराया जाएगा। इसी प्रकार मेडिसिन बोर्ड की कर्मचारी नहीं होने के बावजूद सुनीता मलिक के नाम से फर्जी डीएससी बनाने और उसका दुरुपयोग कर वित्तीय अनियमितता को लेकर सुनीता पर भी एफआईआर दर्ज की जाएगी। सीएम योगी ने शिक्षा विभाग और समाज कल्याण विभाग के संबंधित मामले में जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ भी विभागीय कार्रवाई शुरू करने का आदेश दिया है।
छात्रवृत्ति घोटाले में योगी सरकार ने कड़ा एक्शन लिया है। उत्तर प्रदेश होम्योपैथी मेडिसन बोर्ड के साथ ही आयुर्वेदिक, यूनानी तिब्बती चिकित्सा पद्धति बोर्ड के कॉलेजों की भी जांच होगी। इसके लिए दोनों बोर्ड को निर्देश दिया गया है कि जब तक कॉलेजों की संबद्धता के लिए सिलेबस एवं अवस्थापना सुविधाओं इत्यादि के संबंध में नियम सक्षम स्तर से अनुमोदित होकर जारी न हो जाए, तब तक किसी भी नए कॉलेजों को मान्यता नहीं दी जाएगी। साथ ही जिन कॉलेजों की मान्यता दोनों बोर्ड द्वारा पहले से जारी की जा चुकी है, उनका संबंधित जिले के जिलाधिकारी द्वारा भौतिक सत्यापन कराया जाए।
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