बदलावः हसीन का तो पता नहीं, मगर जिंदगी अब से पहले ज्यादा रंगीन थी

माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर एक यूजर ने थ्रेड पोस्ट के जरिए दावा किया है कि जिंदगी पहले ज्यादा रंगीन हुआ करती थी या यूं कहें कि पहले रोजमर्रा की जिंदगी में रंगों का इस्तेमाल अधिक होता था। अब यह कम हो गया है। यह थ्रेड ट्विटर पर कल्चर ट्यूटर अकाउंट से पोस्ट किया गया है और स्टेप बाई स्टेप पूरी बात समझाई गई है, जिसमें ग्रॉफ भी शामिल है।

इस पोस्ट में कारों के रंग, घरों के इंटीरियर और यहां तक कि जंक फूड चेन मैकडॉनल्ड्स आउटलेट के साइड बाई साइड रिंग की तस्वीरों का इस्तेमाल कर इसे आसान तरीके से बताने का प्रयास किया गया है। इसमें बताया गया है कि कैसे 1970 और 80 के दशक की तुलना में आज रंगों के इस्तेमाल कम हो रहे हैं यह एक बार में नहीं बल्कि, लगातार धीरे-धीरे होता गया है।

यही नहीं, यूजर ने साइंस म्यूजियम ग्रुप के एक विश्लेषण का इस्तेमाल करते हुए भी इसके संकेत दिए हैं। इसमें दिखाया गया है कि समय के साथ सात हजार से अधिक वस्तुओं के रंग कैसे बदलते गए। यह थ्रेड पोस्ट 1800 से 2020 तक के रंगों के स्पेक्ट्रम के विश्लेषण से शुरू होता है। इसमें दिख्ता है लगातार लोगों के बीच ग्रे रंग आम होता जा रहा है और लोग तमाम चीजों में इसका इस्तेमाल अधिक करने लगे। अगर आपको लग रहा है कि दुनिया तेजी से बेरंग होती जा रही है तो आप इसकी कल्पना नहीं कर रहे हैं। जैसे, कारों को ही लें। सफेद के बाद ग्रे स्केल कलर अब दुनियाभर में बनने वाली कारों में सबसे ज्यादा इस्तेमाल हो रहा है। यह तीन चौथाई तक पहुंच गया है, जबकि पहले यह 50 प्रतिशत से भी कम था।

वहीं, जब बात इंटीरियर डिजाइन की आती है, तो ग्रे या इससे मिलते-जुलते रंग अधिक लोकप्रिय होते जा रहे हैं। इसमें पेंट बनाने वाली कंपनी ड्यूलेक्स का स्क्रीनशॉट भी जोड़ा गया है। थ्रेड पोस्ट में 1970 के दशक के दौरान की घर की अगल-बगल की तस्वीरें हैं। वहीं, एक एडवांस्ड युग की है, जिसमें देखा जा सकता है कि ग्रे कलर कैसे दूसरे रंगों पर हावी होता गया। साइंस म्यूजियम ग्रुप की ओर से 2020 में किए गए विश्लेषण ने भी लगभग ऐसे ही नतीजे दिखाए थे।

 

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