मथुरा। स्थानीय निकाय चुनाव इस बार संभवतः दिसंबर में होंगे। 17 नगर निगम सीटों के आधार पर महापौर सीट का आरक्षण तय माना जा रहा है। पिछली बार सोलह निगमों के आधार पर इन सीटों का आरक्षण तय किया गया था। इसमें मथुरा की सीट आरक्षित हो गई थी। इस बार नगर निगम की संख्या बढ़ने से सीटों के आरक्षण के गणित में उलटफेर होना तय है। बताते हैं कि महापौर सीट का आरक्षण शासन स्तर से होता है। सभी सीटों की संख्या में जाति प्रतिशत एवं चक्रानुक्रम का आधार बनाकर सीट का आरक्षण होता है। पिछली बार के मुकाबले इस बार नगर निगमों की संख्या में एक की बढ़ोतरी हुई है। सभी नगर निगम, नगर पालिका एवं नगर पंचायतों का कार्यकाल दिसंबर माह तक खत्म होना है। समय पर चुनाव कराने के लिए सरकार ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं। इस समय आरक्षण तय करने के लिए जातिगत आंकड़े पूरे प्रदेश से एकत्रित किए जा रहे हैं। इनके आधार पर ही वार्डों का एवं महापौर पद का आरक्षण भी तय होगा।
नगर विकास अधिकारियों का कहना है पिछली बार सात सीटें सामान्य वर्ग तथा नौ सीटें आरक्षित कोटे में गई थीं। इनमें मथुरा नगर निगम की सीट (अनुसूचित जाति) आरक्षण में गई थी। जातिगत आंकड़े, निगम की संख्या में बदलाव एवं चक्रानुक्रम आरक्षण की मजबूरी के चलते महापौर की सीटों का चुनावी गणित बदलेगा। प्रमुख सचिव अमृत अभिजात ने मंडलायुक्त को पत्र भेजकर जनगणना संबंधी आंकड़े जल्द उपलब्ध कराने को कहा है।
आरक्षण से पहले ही उम्मीदवारी जताने लगे नेता मथुरा। अभी महापौर सीट के लिए आरक्षण की स्थिति बहुत हद तक साफ नहीं हुई है लेकिन, इसके बावजूद सभी राजनीतिक दलों में नेताओं ने टिकट के लिए दावेदारी ठोंकने में जुट गए हैं। भाजपा में टिकट के लिए दावेदारों की लंबी कतार लगी हुई है। सपा, बसपा एवं आप के भं इस चुनाव में शिरकत करने के एलान के बाद यहां भी टिकट के लिए नेताओं ने अभी से अपनी पैरवी शुरू करा दी है।
कोसीकलां पालिकाध्यक्ष पद का आरक्षण भी बदलेगा मथुरा। जिले में एक मात्र कोसीकलां नगर पालिका परिषद है। उम्मीद जा रही है कि नगर पालिका परिषद की संख्या में इस बार इजाफा हो सकता है। कोसीकलां नगर पालिका अध्यक्ष पद का आरक्षण बदलता है तो दावेदारों के नाम बहुत हैं। सभी दावेदारों की निगाहें सरकार के फैसले की ओर लगी हैं।
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