वरिष्ठ संवाददाता
यूनिक समय, मथुरा। नाम-मयूर संरक्षण केंद्र। नाम पढ़कर लोग अंदाज लगाएंगे कि यहां तो मोर ही मोर दिखाई देंगे, लेकिन ऐसा नहीं है। योगी सरकार के पहले कार्यकाल में मथुरा-वृंदावन मार्ग स्थित वन चेतना केंद्र का नाम बदलकर मयूर संरक्षण केंद्र रख दिया। दोनों गेटों पर मयूर संरक्षण केंद्र के बोर्ड लगा दिए। इस मार्ग से आते-जाते लोगों को लगता है कि यहां तो मोर ही मोर दिखाई देंगे, पर हकीकत में ऐसा कुछ नहीं है।
वन विभाग के अधिकारियों की मानें तो योगी सरकार ने पिछले कार्यकाल में करीब एक करोड़ रुपये खर्च किए। इस राशि को बाउंड्री वाल आदि पर खर्च कर दिया। मयूर संरक्षण केंद्र में तीन-चार कर्मचारियों की तैनाती कर दी। जानकारी मिली है कि इन कर्मचारियों की ड्यूटी पर इस संरक्षण केंद्र में आने वाले मोरों की निगरानी करना है।
मोरों के लिए रोजाना दाना बिखेरते हैं, पर आते कितने मोर हैं, इसकी जानकारी शायद वन विभाग के पास हो। कहीं दाने के नाम पर कोई खेल तो नहीं हो रहा है। संरक्षण केंद्र पर तैनात कर्मचारी प्रेम सिंह ने भी माना कि यहां कभी-कभी मोर आते हैं। कितनी संख्या में आते हैं, इसका जवाब उसके पास नहीं था। वन विभाग के प्रभारी रजनीकांत मित्तल का कहना है कि मयूर संरक्षण केंद्र में सिर्फ घायल हुए मोरों का इलाज होता है। पूछने पर बताया कि लोग घायल मोरों को लेकर आते हैं तो उनको वेटरिनरी कालेज के डाक्टरों के पास भेज दिया जाता है।
उनका कहना है कि अब सरकार के पास दो करोड़ रुपये की योजना का प्रस्ताव भेजा है। इस राशि के स्वीकृत होने के बाद मयूर संरक्षण केंद्र में मेडिकल किट, दाना, पानी आदि का इंतजाम किया जाएगा। इसी राशि से मयूर संरक्षण केंद्र परिसर मेंं आगुंतक हॉल, एक एम्बुलेंस और एक गाड़ी खरीदने का प्रस्ताव है।
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