आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा है कि संघ का मिशन भारत को सर्वांगीण विकास प्राप्त करना है। मोहन भागवत मेघालय की राजधानी शिलॉन्ग की दो दिन की यात्रा पर आए हैं। पहले दिन उन्होंने एक सार्वजनिक बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि संघ का मिशन हमारे समाज को संगठित करना है ताकि भारत का सर्वांगीण विकास हो सके। आरएसएस व्यक्तिगत स्वार्थ छोर देश के लिए बलिदान सिखाता है।
भागवत ने कहा, “भारतीय और हिंदू एक पर्यायवाची भू-सांस्कृतिक पहचान है। हम सभी हिंदू हैं। भारतीयों ने देश के प्राचीन इतिहास से बलिदान की परंपरा सीखी है। हमारे पूर्वजों ने कई विदेशी भूमि का दौरा किया था और जापान, कोरिया, इंडोनेशिया और कई अन्य देशों में समान मूल्य दिए।” भागवत ने कहा कि भारत ने कोरोना महामारी के दौरान विभिन्न देशों में टीके भेजकर मानवता की सेवा की थी। भारत ने आर्थिक संकट के दौरान श्रीलंका की मदद की। अगर भारत शक्तिशाली बनता है तो इसका हर नागरिक ताकतवर बनता है।
बता दें कि पिछले दिनों मोहन भागवत 22 सिंतबर को दिल्ली के एक मस्जिद और मदरसा में गए थे। उनकी यह यात्रा चर्चा की खूब चर्चा हुई थी। भागवत ने कस्तूरबा गांधी मार्ग पर बनी मस्जिद में मुस्लिम धार्मिक संगठन के प्रमुख डॉ. इलियासी से करीब एक घंटे चर्चा की थी। इसके बाद भागवत मदरसा गए थे और वहां पढ़ रहे छात्रों से बात की थी। भागवत से मुलाकात के बाद डॉ. इलियासी ने कहा था कि हमारा DNA एक ही है, सिर्फ इबादत करने का तरीका अलग है। डॉ. इलियासी ने भागवत को राष्ट्रपिता और राष्ट्र ऋषि बताकर एक नई बहस को जन्म दिया था।
संघ मुस्लिमों,ईसाई और सिख अल्पसंख्यकों को अपने करीब लाने में लगा है। भागवत का मस्जिद और मदरसा जाना इसी पहल का हिस्सा था। पिछले दिनों मोहन भागवत से दिल्ली के पूर्व उपराज्यपाल नजीब जंग, पूर्व चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल जमीरउद्दीन शाह और कारोबारी सईद शेरवानी ने मुलाकात की थी।
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