प्रदेश में कहीं भारी तो कहीं सामान्य बारिश के आसार, सबसे ज्यादा बारिश ब्रज व आसपास के इलाकों में
हरियाणा और आसपास के इलाकों पर बने चक्रवातीय दबाव के चलते उत्तर प्रदेश में अभी दो दिन मौसम और बिगड़ा रहेगा। मौसम निदेशक जे.पी.गुप्ता ने सोमवार को बताया कि 11 व 12 अक्तूबर को प्रदेश के विभिन्न अंचलों में कहीं भारी तो कहीं सामान्य बारिश होने के आसार हैं। उन्होंने कहा कि अक्तूबर के दूसरे हफ्ते में विदा होते मानसून की अब तक की यह सबसे ज्यादा बारिश है।
लगातार हो रही बारिश की वजह से खेती को भारी नुकसान पहुंचा है। कृषि विभाग इस नुकसान का आंकलन करवा रहा है। राहत आयुक्त ने भी जिलों से इस बारिश की वजह से जन-धन की हानि की रिपोर्ट मंगवाई है। मौसम विभाग से मिली जानकारी के अनुसार रविवार की शाम साढ़े पांच बजे से सोमवार की सुबह साढ़े आठ बजे के दरम्यान राज्य में सबसे अधिक 23 सेंटीमीटर बारिश बरेली के मीरगंज में हुई।
बरेली के ही नवाबगंज में 18, बिजनौर के नजीबाबाद व नगीना में 17-17, जालौन की कालपी तहसील में 12, हमीरपुर के शहजीना में 11, मेरठ के मवाना व बदायूं के दातागंज में 10-10, सम्भल में नौ, खीरी के सरदारनगर में 15, प्रतापगढ़ के कुण्डा में 13, सीतापुर के नीमसार व बाराबंकी रामनगर में भी 13-13, कानपुर देहात के अकबरपुर, उन्नाव के हसनगंज में 10, सीतापुर के भटपुरवाघाट, फतेहपुर के बिंदगी व हरदोई में आठ-आठ, सीतापुर के मिश्रिख, कन्नौज व लखनऊ में सात-सात सेंटीमीटर बारिश दर्ज की गई।
उधर, कृषि विशेषज्ञों के अनुसार इस अतिवृष्टि से खेती को भारी नुकसान हुआ है। कृषि विभाग के सेवानिवृत्त उप निदेशक सी.पी.श्रीवास्तव का कहना है कि तिल, मूंग व उड़द की फसलें तो पूरी तरह बर्बाद हो गईं। धान की तैयार होती फसल करीब 30 फीसदी खेतों में बिछ गई हैं। इसके साथ ही औद्यानिक फसलों में तैयार होते केले और लता वाली सब्जियों को भारी नुकसान हुआ है।
उन्होंने किसानों को सलाह दी कि खेतों में भरे पानी को मेड़ काटकर निकाल दें और धान के खेतों में फिलहाल यूरिया व डीएपी का इस्तेमाल अभी बिल्कुल न करें। संयुक्त निदेशक कृषि (प्रसार) आर.के.सिंह ने बताया कि इस भारी बारिश से खेती को हुए नुकसान का आंकलन करवाया जा रहा है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से आच्छादित किसानों को तो तत्काल नुकसान की भरपाई मिलेगी बाकी किसानों को हुए नुकसान के बारे में भी निर्णय लिया जाएगा।
गोरखपुर-बस्ती मंडल में बारिश ने बढ़ाई परेशानी
गोरखपुर-बस्ती मंडल में पिछले करीब एक हफ्ते रुक-रुककर हल्की या तेज बारिश हो रही है। गोरखपुर में सोमवार को 21.3 मिलीमीटर, बस्ती में 24 घंटे में 40 मिलीमीटर, संतकबीरनगर में 44 और महराजगंज में 22 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई। बस्ती में बारिश के चलते दीवार ढहने से एक वृद्धा और सिद्धार्थनगर में बिजली गिरने से एक युवक की मौत हो गई। वहीं, संतकबीरनगर में बिजली गिरने से तीन लोग झुलस गए। सिद्धार्थनगर, देवरिया और कुशीनगर में भी छिटपुट बारिश हुई। लगातार बारिश से गोरखपुर में राप्ती, रोहिन और सरयू नदी के बाद गोर्रा भी सोमवार की शाम खतरे का निशान पार कर गई है। जिले के 70 से अधिक गांव प्रभावित हो चुके हैं।
कानपुर में रिकॉर्ड बरसात
कानपुर में भारी बरसात का दौर जारी है। यहां पिछले 24 घंटों में करीब 22 घंटे बारिश हुई। दौरान कुल 130 मिलीमीटर बारिश रिकॉर्ड की गई। इस माह में अब तक 218 मिलीमीटर बारिश हो चुकी है। 1985 में पहली अक्टूबर को सर्वाधिक 165.5 मिलीमीटर बारिश हुई थी। कानपुर मंडल में 39 से ज्यादा जर्जर मकान गिरे। बुन्देलखंड, उन्नाव, फतेहपुर में 50 से ज्यादा कच्चे मकान धराशाई हुए। उधर, बदायूं के बिल्सी में कच्ची दीवार गिरने से घायल अधेड़ की अस्पताल में मौत हो गई। पीलीभीत में जहानाबाद व न्यूरिया में पांच कच्चे मकान गिरने से हादसे में एक महिला गंभीर रूप से घायल हो गई और चार लोग घायल हो गए।
सर्वाधिक वर्षा वाले शीर्ष दस जिले
कानपुर 130 मिलीमीटर
बरेली 110.6 मिलीमीटर
बिजनौर 103.4 मिलीमीटर
हमीरपुर 90.7 मिलीमीटर
जालौन 79.2 मिलीमीटर
लखीमपुर खीरी 78.4 मिलीमीटर
बाराबंकी 77.3 मिलीमीटर
मुरादाबाद 76.4 मिलीमीटर
बदायूं 75.3 मिलीमीटर
उन्नाव 59.9 मिलीमीटर
पहले कम तो अब भारी बारिश से 50 फीसदी धान-गन्ना-मक्का बर्बाद
-खेतों में खड़ी धान की फसल तेज हवा व बारिश के कारण गिरी
– मूंग, ज्वार, बाजरा, तिल संग आलू समेत सब्जियों भी प्रभावित
-20 से 25 फीसदी खेतों में कम बारिश के कारण की थी बुआई
पहले कम तो अब हो रही भारी बारिश से 50 फीसदी धान की फसल बर्बाद हो गई है। खेतों में पकी खड़ी फसल तेज हवा और बारिश से गिर गई है। नुकसान सिर्फ धान को नहीं बल्कि सरसों, गन्ना, मक्का, तिल, ज्वार, बाजरा के साथ आलू, लौकी, खीरा, करेला, कुंदरू समेत सब्जियों की सभी फसलों को हुआ है। साथ ही अभी सरसों और आलू की बुवाई होनी थी, जिसे भी नुकसान हुआ है।
चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिक डॉ. राजीव ने बताया कि सात दिन से हो रही बारिश ने फसलों को काफी नुकसान पहुंचाया है। बुवाई के समय बारिश न होने से करीब 80 फीसदी खेतों में ही किसानों ने धान की फसल लगाई थी। मतलब 20 फीसदी नुकसान पहले ही था और अब बारिश के कारण करीब 40 से 45 फीसदी फसल खेतों में गिर गई है। इसी तरह, गन्ना की करीब 40 से 50 फीसदी गिर गई है। अब इस फसल को बचाने के लिए किसानों को 15 से 20 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर अतिरिक्त खर्च करना होगा। सरसों लगाने के लिए एक से 15 अक्तूबर और आलू लगाने के लिए 15 से 25 अक्तूबर का समय उचित होता है, लेकिन अधिक बारिश के कारण खेत तैयार नहीं है। ऐसे में इन किसानों को भी नुकसान होना तय है। ज्वार, बाजरा, तिल समेत अन्य सभी फसलों में भी 20 से 30 फीसदी का नुकसान हुआ है।
बारिश से कानपुर मंडल में हुआ नुकसान
फसल नुकसान (लगभग)
धान 50 से 55 फीसदी
गन्ना 40 से 50 फीसदी
मक्का 55 से 60 फीसदी
सब्जियों की नर्सरी 50 से 55 फीसदी
Leave a Reply