अब खाइये यूपी में उगा थाई अमरूद

guava

ड्रैगन फ्रूट, स्ट्राबेरी के बाद ब्लूबेरी की भी खेती शुरू होगी, बुन्देलखंड बनेगा खजूर की खेती का हब, झांसी में सेण्टर आफ एक्सीलेंस प्रस्तावित

यूपी के बाजार में आपको विदेशी अमरूद तो मिल रहा था लेकिन अब आप अपनी माटी में उगे थाई ग्वावा यानी थाई अमरूद का स्वाद ले सकेंगे। थाईलैंड का अमरूद पिछले तीन वर्षों से सर्दियों के फल बाजार पर छाया हुआ है। अभी तक तो यह विदेशी अमरूद आन्ध्र प्रदेश के हैदराबाद व आसपास के इलाकों से यूपी में आ रहा था। मगर अब यह अपने उत्तर प्रदेश में भी पैदा होने लगा है और जल्द ही बाजार में मिलने लगेगा।

सुलतानुपर जिले से इसकी शुरुआत हुई है। यहां के बलदीराय विकास खण्ड में कई किसानों ने दो साल पहले थाई ग्वावा के बाग लगवाए और अब इनमें फसल आने लगी है। यहां के राकेश यादव, मिराज़ अली, समाउज्जमां और रईसुज्जमां सहित करीब 50 किसानों ने थाई ग्वावा के बाग लगवाए हैं।

सुलतानुपर के जिला उद्यान अधिकारी रणविजय सिंह बताते हैं- इस विदेशी अमरूद का उत्पादन दो साल में ही शुरू हो जाता है। घुटने तक का पेड़ भी आठ से दस किलो की पैदावार दे देता है। अब तो प्रदेश सरकार भी खेती के ऐसे नवाचार अपनाने वाले किसानों को मदद दे रही है। प्रदेश के उद्यान निदेशक डा.आर.के.तोमर के अनुसार ऐसे किसानों को अभी तो एकीकृत बागवानी मिशन के तहत 60 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर का अनुदान दिया जा रहा है। मगर अगले साल तक इस बारे में केंद्र सरकार की नई नीति आने वाली जिसके जरिये यह अनुदान और बढ़ाया जाएगा।
उन्होंने बताया कि ड्रैगनफ्रूट, स्ट्राबेरी की खेती खासतौर पर मीरजापुर, बाराबंकी, कुशीनगर, सुल्तानपुर, कौशाम्बी के आसपास हो रही है और अब अंजीर, खजूर, एप्पल बेर का उत्पादन भी प्रदेश में शुरू हो गया है। मुजफ्फरनगर में एक बड़े कारोबारी समूह ने ब्लूबेरी की खेती की भी तैयारी की है।
उन्होंने बताया कि राजस्थान व गुजरात की तर्ज पर बुन्देलखंड में खजूर की खेती को बढ़ावा देने के लिए झांसी में एक सेण्टर आफ एक्सीलेंस भी प्रस्तावित है। विदेशी अमरूद के साथ ही साथ इलाहाबादी देसी अमरूद का भी पूरा ध्यान रखा जा रहा है। पिछले दो साल से यह विश्व प्रसिद्ध इलाहाबादी अमरूद सर्दियों के फल बाजार में नजर नहीं आ रहा था। उद्यान निदेशक डा.तोमर उम्मीद जताते हैं कि इस बार यह फल बाजार की रौनक जरूर बनेगा। उन्होंने बताया कि चूंकि इस बार जुलाई-अगस्त में बारिश कम हुई इसलिए बारिश के महीनों में देसी अमरूद का उत्पादन कम हुआ अब सर्दियों में इसका उत्पादन जरूर बढ़ेगा। उन्होंने बताया कि पिछले दो साल क्लाइमेट चेंज और फल मक्खी के प्रकोप के चलते इलाहाबादी अमरूद का उत्पाद नहीं के बराबर रहा। अब प्रयागराज के खुसरोबाग में एक सेण्टर आफ एक्सीलेंस बनाया गया है जहां देसी अमरूद के बागवानों को फल मक्खी से बचाव के साथ ही इसका उत्पादन बढ़ाने के तौर तरीके सिखाए जा रहे हैं।

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