सनातन धर्म में बहुत सी ऐसी परम्पराएं हैं जो सदियों से चली आ रही है. इन परम्पराओं को ऋषि-मुनियों ने गहन अध्यन और शोध के बाद बनाया था. इन्हीं परम्पराओं में से एक है अपने से बड़े लोगों के पैर छूना. आज भी हमारे यहां घर के छोटे अपने घर के बड़े बुजुर्गों के पैर छूकर आशीर्वाद में विद्या, बुद्धि और शुभाषीश मांगते हैं और हमारे बड़े हमें ये सभी चीज़ें आशीर्वाद के रूप में देते भी हैं लेकिन आज के बदलते दौर में ये परंपरा धीरे-धीरे ख़त्म होती जा रही है.
कई लोग इस बात से अनभिज्ञ हैं कि ऋषि-मुनियों द्वारा बनाई गई इन परम्पराओं में हमारी भलाई ही छुपी हुई है. पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा, ज्योतिष हमें पैर छूने की परम्परा और इससे होने वाले फायदों के बारे में बता रहे हैं.
पैर छूने के लाभ
जब हम अपने बड़ों के पैर छूते हैं तो हमारे अंदर नम्रता, दूसरों के प्रति आदर का भाव जाग्रत होता है. और जब वरिष्ठ जन हमें आशीर्वाद देते हैं तो उनके अंदर की सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह भी हमारे अंदर होता है. धर्म शास्त्रों में ऐसा कहा गया है कि प्रतिदिन अपने से बड़ों के पैर छूकर आशीर्वाद लेने से आयु, यश और बल की बढ़ोत्तरी होती है.
पैर छूना भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म में सदाचार का प्रतीक माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि नियमित रूप से अपने बड़े बुजुर्गों के पैर छूने से प्रतिकूल ग्रह का प्रभाव भी आपके अनुकूल हो जाता है.
बड़े बुजुर्गों के पैर छूना एक कसरत भी है. पैर छूने से शारीरिक कसरत भी होती है. आगे की ओर झुककर पैर छूने से सर में रक्त का प्रवाह बढ़ता है जो सेहत के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है.
बड़े बुजुर्गों के पैर छूने का एक फायदा यह भी है कि इससे व्यक्ति का अहम या अहंकार समाप्त होता है. यही सब कारण है कि हमारे पूर्वजों ने पैर छूने की इस परंपरा को नियम और संस्कार का रूप दिया है.
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