तीन नहीं पांच ने उतारा माफिया बंधु को मौत के घाट… दो शख्स पर्दे के पीछे कर रहे थे ये काम

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अतीक और अशरफ हत्याकांड को लेकर एक बड़ा खुलासा हुआ है. पुलिस सूत्रों के मुताबिक जब तीन आरोपी शूटरों ने माफिया ब्रदर्स पर गोली से निशाना साधा तो हत्याकांड की जगह पर दो लोग और मौजूद थे. ये दो लोग इन तीनों को लगातार इंस्ट्रक्शन दे रहे थे. हालांकि, इन दोनों का नाम अभी तक पता नहीं चल सका है. पुलिस इसे लेकर फिलहाल जांच कर रही है. अब एसआईटी को इन दोनों की तलाश है.

सूत्रों के मुताबिक, इनमें से एक मददगार प्रयागराज का ही है. इतना ही नहीं इन दोनों ने तीनों शूटरों के रहने-खाने का भी बंदोबस्त किया था और रेकी के दौरान भी इनकी मदद में पूरा साथ दिया था. जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे कई नए खुलासे हो रहे है. हत्याकांड के समय इनका एक साथ अस्पताल परिसर और दूसरा अस्पताल के बाहर ही खड़ा था.

शूटर्स अपना मोबाइल होटल में ही छोड़कर आए थे. इसके बाद भी दोनों को लगातार अतीक और अशरफ की सटीक लोकेशन मिल रही थी. एसआईटी को उस होटल से शूटर्स के दो पुराने फोन भी मिले हैं. हालांकि, इन दोनों फोन में कोई सिम नहीं है. इतना ही नहीं पुलिस को अतीक के बेटे असद के फोन से भी कई बड़ी जानकारियां हाथ लगी हैं, जोकि 13 अप्रैल को पुलिस मुठभेड़ में ढेर हो गया था.

पुलिस को शेरे अतीक नाम के व्हाट्सएप ग्रुप का पता चला है. अतीक के बेटे असद ने ये ग्रुप बनाया था. इस ग्रुप में प्रयागराज, कौशांबी और फतेहपुर के करीब 200 युवक मेंबर थे. उमेश पाल हत्याकांड से कुछ दिन पहले ही इस ग्रुप को डिलीट किया गया था. इस ग्रुप में जुड़े नंबरों की जांच कर पुलिस इन लोगों से पूछताछ की तैयारी भी कर रही है.

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