वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर के बाद मथुरा की शाही मस्जिद ईदगाह में भी सनातन धर्म के प्रतीक चिह्न होने का मुद्दा गरमा गया है। वादी पक्ष का दावा है कि ईदगाह में लगे पत्थरों में कमल की पंखुड़ी, आदिशेष अंकित हैं।
यहां पर ऊं की आकृति भी बनी है। स्थानीय न्यायालय में चल रहे वाद में वादी पक्ष इन चिह्नों को साक्ष्य के तौर पर प्रस्तुत कर चुके हैं। पांच और छह अगस्त को वृंदावन के चिंतामणि कुंज में इन प्रतीक चिह्नों के चित्रों की प्रदर्शनी आम लोगों के लिए लगाई जाएगी। वादी पक्ष का दावा है कि 1670 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर स्थित ठाकुर केशवदेव मंदिर को तोड़कर उसके ऊपर शाही मस्जिद ईदगाह खड़ी कर दी गई।
श्रीकृष्ण जन्मस्थान के धार्मिक प्रतीकों की रचना
उसके निर्माण में मंदिर के अवशेष का ही उपयोग किया गया। इनमें सनानत धर्म के प्रतीक चिह्न भी बने हैं। श्रीकृष्ण जन्मस्थान से जुड़ी पुस्तकों में इसकी जानकारी मिलती है। श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास के अध्यक्ष और श्रीकृष्ण जन्मस्थान मामले में वादी अधिवक्ता महेंद्र प्रताप ने इन साक्ष्यों के चित्र पूर्व में न्यायालय ने प्रस्तुत किए थे। महेंद्र प्रताप ने बताया कि ईदगाह की इमारत में कमल, आदिशेष और ओम (ऊं) की आकृति बनी है।
विभिन्न स्रोतों से प्राप्त चित्रों और दस्तावेज़
वहां के खंभे भी हिंदू मंदिरों की शैली में हैं। उनका दावा है कि ये चित्र उन्होंने विभिन्न स्रोतों से प्राप्त किए हैं। प्रदर्शनी में श्रीकृष्ण जन्मस्थान और शाही मस्जिद ईदगाह से संबंधित दस्तावेज भी रखे जाएंगे। इसमें भूमि की रजिस्ट्री, खसरा, खतौनी होगी। औरंगजेब का फरमान भी रखा जाएगा।
इसमें ठाकुर केशवदेव मंदिर को तोड़कर श्रीविग्रह आगरा की बेगम साहिबा की मस्जिद की सीढ़ियों में लगाने का आदेश है। कई ऐसी पुस्तकों के अंश भी प्रदर्शनी में रखे जाएंगे, जिनमें ठाकुर केशवदेव मंदिर तोड़ने और ईदगाह बनाने का उल्लेख है।
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