यूनिक समय, वृंदावन। परिधि एवं सेवाज्ञ संस्थानम के बैनर तले आयोजित युवा धर्म संसद कार्यक्रम के तहत चित्रकला प्रतियोगिता में विभिन्न चित्रकारों ने अपनी कला का प्रदर्शन किया। यह चित्रकार ‘इक्कीसवीं सदी का भारत सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य में’ विषय पर अपने मनोभावों को रंगो से कागज पर उकेरेंगे ।
मुख्य संयोजक पूर्व डीएम देवदत्त शर्मा ने कहा कि खुले आसमान में पक्षी की तरह से अपनी कल्पना को उभारें और सहज भाव से अपनी अभिव्यक्ति समाज तक पहँचाएं। चित्रकार गोविन्द कन्हाई ने कहा कि चित्रकार को नवीन सृजन के लिए बिना संकोच के तैयार होना चाहिए । कार्यक्रम संयोजक महेश खण्डेलवाल ने कहा कि प्रत्येक कला अपने आप में अनूठी होती है और अलग प्रकार की। अभिव्यक्ति का साधन भी। लेखक शब्दों से और चित्रकार रंगों से अपनी अभिव्यक्ति करता है।
परिधि फाउंडेशन के निर्मल रतनलाल वैद्य ने कहा कि कला ईश्वर प्रदत्त होती है। कार्यक्रम समन्वयक आशीष ने युवा धर्म संसद के व्यापक अनुष्ठान पर प्रकाश डाला। इस प्रतियोगिता के समापन के बाद इन चित्रों की प्रदर्शनी भी लगायी जाएगी । इस अवसर पर सौरभ गौड़, वृषभान गोस्वामी, कीर्ति शर्मा,मीडिया प्रभारी डॉ. नीतू गोस्वामी, डा आर डी शर्मा,कपिल उपाध्याय, सीमा पाठक,विष्णु शर्मा,मेघा सोलंकी आदि उपस्थित थे । व्यवस्था प्रमुख संजय गोस्वामी ने आभार जताया।
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