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यूनिक समय, छाता (मथुरा)। करीब दो-तीन दशक पहले कसबा छाता की छतरियों के नाम से मशहूर शेरशाह सूरी द्वारा बनाया किला विदेशी पर्यटकों के लिए काफी आकर्षण का केंद्र था। उस समय हर दिन किसी न किसी देश के लोग इस किले के अंदर फोटोग्राफी करते थे और यहां के दोनों द्वारों पर चढ़कर ऊपर से फोटो खींचते थे। विदेशी पर्यटकों को देखकर कसबा के बच्चे उनके पीछे भागते थे। आज शेरशाह सूरी का किला सरकारी उपेक्षा का शिकार हो गया है।
शेरशाह सूरी ने कराया था निर्माण
सैकड़ों वर्ष पहले शेरशाह सूरी ने आगरा-दिल्ली के बीच छाता में अपनी सेना के लिए सराय का निर्माण कराया था । चारों ओर मोटी-मोटी दीवार और गुम्बद सभी के लिए आकर्षण का केंद्र बनी रहती थी। आगरा और दिल्ली गेट की ओर बड़े द्वार बनाए गए थे। शेरशाह सूरी का यह किला छाता की धरोहर बताया जाता है।
पहले इस किले के अंदर छाता तहसील मुख्यालय, एसडीएम कार्यालय, पुलिस कोतवाली, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तथा रजिस्ट्री कार्यालय थे, लेकिन धीरे -धीरे करके यह सभी कार्यालय बाहरी क्षेत्र में चले गए थे। इन सरकारी कार्यालयों के भवनों में और ने कब्जा कर लिया। कही गोबर के कंडे थपते नजर आते हैं तो कहीं कुछ और।
रह गई तो इस किले के अंदर आबादी। बताते हैं कि इस किले की देखरेख पुरातत्व विभाग के पास है, अब अनदेखी के कारण उसकी हालात जर्जर होती जा रही है।
शेरशाह सूरी ने अपनी सेना के लिए सराय का निर्माण करवाया था, राजा की जो सेना थी वह दिल्ली आगरा के आते जाते समय यहां विश्राम किया करती थी, जिसके लिए शेरशाह सूरी द्वारा छाता में छतरियों का निर्माण कराया।
ऐसा भी बताया जाता है कि यहां से दिल्ली के लिए एक गुफा गई थी जो सीधी और जल्दी दिल्ली सेना को पहुंचा देती थी, इस समय बंद है। किले के निर्माण लगाया गया पत्थर गर्मियों में ठंडक और सर्दियों में गर्मी देता है। किले की कोठरियां भी हर किसी को भाती हैं। लोगों का कहना है कि अब कोई विदेशी पर्यटक नहीं आता है। वजह है कि किले की स्थिति दयनीय होती जा रही है। उसकी दीवारों में लगे मोटे-मोटे पत्थर निकलकर ढहने लगे हैं। यदि पत्थर किसी पर गिर गया तो उस व्यक्ति का बच पाना मुश्किल हो जाएगा। किले के दोनों द्वारों पर लगे दरवाजों का कोई पता नही है।
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