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बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल में 26 साल एक बार फिर किडनी ट्रांसप्लांट शुरू हुआ है। आईएमएस निदेशक प्रो. एसएन शंखवार के नेतृत्व में गुरुवार को वाराणसी, कार्यालय संवाददाता। बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल में 26 साल एक बार फिर किडनी ट्रांसप्लांट शुरू हुआ है। आईएमएस निदेशक प्रो. एसएन शंखवार के नेतृत्व में गुरुवार को रोहनिया के युवक का गुर्दा सफलतापूर्वक बदला गया। युवक को उनकी पत्नी ने किडनी दान की है। दोनों अभी डॉक्टरों की निगरानी में हैं।
रोहनिया निवासी 40 वर्षीय अरुण कुमार की दोनों किडनी खराब हो गई थी। बीएचयू में उनका इलाज चल रहा था। 34 वर्षीय पत्नी शुष्मा रानी ने बाईं ओर की किडनी डोनेट की। ट्रांसप्लांट के लिए यूरोलॉजी और नेफ्रोलॉजी विभाग की संयुक्त टीम लगी थी। करीब छह घंटे ऑपेरशन के बाद डॉक्टरों ट्रांसप्लांट करने में सफलता मिली। आमतौर निजी अस्पताल में किडनी ट्रांसप्लांट के लिए 12 से 15 लाख रुपये खर्च होते हैं। बीएचयू में तीन लाख रुपये में ऑपरेशन हो गया।
निदेशक ने बताया कि अभी दो और मरीजों में भी किडनी ट्रांसप्लांट करनी है। उन्होंने कहा कि आईएमएस आने के बाद किडनी ट्रांसप्लांट मेरी प्राथमिकता में था। इस टीम ने नेफ्रोलॉजी विभागाध्यक्ष प्रो. शिवेंद्र सिंह, यूरोलॉजी विभागाध्यक्ष प्रो. समीर त्रिवेदी, डॉ. उज्ज्वल, डॉ. यशस्वी का सहयोग रहा। सर सुंदरलाल अस्पताल के नेफ्रोलॉजी विभाग में हर साल सौ से अधिक मरीज ऐसे आते हैं जिन्हें किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत होती है। लेकिन बीएचयू में ये सुविधा नहीं होने के कारण उन्हें दिल्ली या मुम्बई जाना पड़ता था।
मरीजों की परेशानी को देखते हुए निदेशक प्रो. एसएन शंखवार ने किडनी ट्रांसप्लांट शुरू करने का निर्णय लिया। ट्रांसप्लांट के लिए लाइसेंस मिलने के बाद सुपर स्पेशियलिटी भवन में अलग से आपरेशन थिएटर और आईसीयू सेटअप हुआ। 1999 से बंद है ट्रांसप्लांट बीएचयू अस्पताल में सन 1989 में किडनी ट्रासंप्लांट शुरू हुआ था, लेकिन 1999 में सर्जन के दिल्ली चले जाने के कारण वह बंद हो गया। सब मशीनें खराब हो गई।
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