![गुरु गोबिंद सिंह जी का प्रकाश पर्व गुरु गोबिंद सिंह जी का प्रकाश पर्व](https://sp-ao.shortpixel.ai/client/to_webp,q_glossy,ret_img/https://uniquesamay.com/wp-content/uploads/2025/01/blobhttpsweb.whatsapp.com958c84dc-2c1d-4f10-adf7-019b8efffb3e-1-1-678x381.jpg)
यूनिक समय ,नई दिल्ली। आज 6 जनवरी दिन सोमवार को पूरे देश में गुरु गोबिंद सिंह जी का प्रकाश पर्व मनाया जाएगा। सिख धर्म में प्रकाश पर्व एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जिसे श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है। प्रकाश पर्व का अर्थ है- अंधकार को दूर कर सत्य, ईमानदारी, और सेवा का प्रकाश फैलाना। सिख धर्म में कुल दस गुरु हुए हैं और इनमें से दो प्रमुख गुरुओं, गुरु नानक देव जी और गुरु गोबिंद सिंह जी के जन्मदिवस को विशेष रूप से प्रकाश पर्व या प्रकाश उत्सव के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व न केवल सिख समुदाय के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए एक प्रेरणा का स्रोत है।
गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म 22 दिसंबर 1666 को पटना, बिहार में हुआ था। उन्होंने मात्र दस वर्ष की आयु में गुरु की गद्दी संभाली और सिख धर्म के दसवें और अंतिम गुरु बनें। गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म पौष माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को हुआ था। नानकशाही कैलेंडर के अनुसार, यह तिथि हर साल बदलती रहती है, लेकिन इस अवसर को पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ मनाया जाता है। गुरु नानक देव जी और गुरु गोबिंद सिंह जी ने समाज में ज्ञान, सत्य, और न्याय का प्रकाश फैलाया। उन्होंने लोगों को यह सिखाया कि जीवन में सत्य और धर्म का पालन करना ही सच्चा प्रकाश है। इस दिन गुरुद्वारों को भव्य तरीके से सजाया जाता है, नगर कीर्तन निकाले जाते हैं, और श्रद्धालु अरदास, भजन-कीर्तन, तथा प्रभात फेरी में शामिल होकर गुरु जी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
गुरु गोबिंद सिंह जी न केवल एक महान संत और आध्यात्मिक गुरु थे, बल्कि वे एक कुशल योद्धा, कवि, और विचारक भी थे। उन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से समाज में जागरूकता और आध्यात्मिकता का संचार किया। उनके द्वारा रचित ग्रंथों में जाप साहिब, अकाल उस्तति, और चंडी दी वार प्रमुख हैं। गुरु गोबिंद सिंह ने सिखों को आत्मसम्मान और निडरता का पाठ पढ़ाया। उनकी प्रसिद्ध वाणी “वाहेगुरु जी का खालसा, वाहेगुरु जी की फतह” आज भी हर सिख के हृदय में जोश और आत्मविश्वास का संचार करती है।
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