
यूनिक समय, नई दिल्ली। अजमेर स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की प्रसिद्ध दरगाह को लेकर चल रहे विवाद में केंद्र सरकार ने अपना रुख स्पष्ट कर दिया है। हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता द्वारा दरगाह को प्राचीन शिव मंदिर बताते हुए दायर की गई याचिका को केंद्र सरकार ने खारिज करने की सिफारिश की है।
शुक्रवार, 19 अप्रैल को इस मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से अदालत में हलफनामा दायर किया गया, जिसमें कहा गया कि यह मुकदमा सुनवाई योग्य नहीं है और इसे अदालत द्वारा स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए।
अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने याचिका की तकनीकी खामियों को उजागर करते हुए कहा कि याचिका में भारत सरकार को पक्षकार नहीं बनाया गया है, और इसमें प्रस्तुत किए गए दस्तावेजों के हिंदी अनुवाद में त्रुटियां हैं। साथ ही, पहले की सुनवाई में सभी विपक्षी पक्षों को पर्याप्त सुनवाई का अवसर नहीं दिया गया था। इन सभी कारणों के आधार पर मंत्रालय ने मुकदमे को खारिज करने की सिफारिश की।
अदालत ने केंद्र सरकार की सिफारिश के बाद सुनवाई को स्थगित कर दिया और अब अगली सुनवाई 31 मई को निर्धारित की है। अदालत ने हिंदू सेना को निर्देश दिया है कि वे केंद्र के जवाब पर अपनी प्रतिक्रिया प्रस्तुत करें।
वहीं मुस्लिम पक्ष ने केंद्र सरकार की इस सिफारिश का स्वागत किया है। खादिमों की अंजुमन के अधिवक्ता आशीष कुमार सिंह ने कहा कि यह याचिका बिना किसी ठोस आधार के दायर की गई थी और इसका मकसद सिर्फ धार्मिक सौहार्द को बिगाड़ना था।
अब सभी की निगाहें 31 मई की अगली सुनवाई पर टिकी हैं, जहां अदालत तय करेगी कि यह मुकदमा आगे बढ़ेगा या खारिज कर दिया जाएगा।
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