
यूनिक समय, नई दिल्ली। भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने हाल ही में देशभर में युद्ध सायरन बजाने और मॉक ड्रिल (Mock Drill) करने का आदेश दिया है। इसका उद्देश्य लोगों को युद्ध सायरन की पहचान करना सिखाना और उन्हें बचाव के उपायों के बारे में जागरूक करना है।
मुंबई के दादर स्थित एंटनी डिसिल्वा हाई स्कूल में युद्ध सायरन बजाकर तैयारियों का परीक्षण किया गया। इसके बाद, श्रीनगर के डल झील में भी मॉक ड्रिल के लिए विशेष तैयारियां की गईं। गृह मंत्रालय के निर्देशों के अनुसार कल, 7 मई को देश के विभिन्न हिस्सों में मॉक ड्रिल आयोजित की जाएगी, जिससे लोगों को ऐसी स्थितियों से निपटने के लिए तैयार किया जा सके।
युद्ध सायरन की पहचान और उसका उद्देश्य
सायरन का बजना किसी बड़े खतरे की सूचना होता है। इसके कई उद्देश्य होते हैं, जिनमें शामिल हैं।
- हवाई हमले की चेतावनी – यह सायरन हवाई हमले के खतरे को बताते हुए बजता है।
- रेडियो संपर्क को सक्रिय करना – एयरफोर्स के साथ रेडियो संपर्क स्थापित करने के लिए यह सायरन बजाया जाता है।
- सिविल डिफेंस की तैयारी की जांच – युद्ध के दौरान सिविल डिफेंस की तैयारियों का जायजा लेने के लिए भी यह सायरन बजता है।
- ब्लैकआउट एक्सरसाइज – युद्ध के दौरान पावर आउटेज और अंधेरे की स्थिति में काम करने की ट्रेनिंग के लिए।
- कंट्रोल रूम की तैयारी – नियंत्रण कक्ष के कामकाजी स्तर को जांचने के लिए भी यह सायरन बजता है।
युद्ध सायरन बजने पर क्या करें?
जब युद्ध का सायरन बजे, तो यह महत्वपूर्ण है कि आप तुरंत सुरक्षित स्थान की ओर बढ़ें और कोई भी पैनिक न करें। निम्नलिखित कदम उठाएं-
- सुरक्षित स्थान की ओर बढ़ें – सायरन बजने के 5-10 मिनट के भीतर सुरक्षित स्थान पर पहुंचने की कोशिश करें।
- खुले इलाकों से दूर रहें – खुले इलाकों और भीड़-भाड़ वाली जगहों से तुरंत हट जाएं।
- टीवी और रेडियो पर अलर्ट सुनें – मीडिया चैनलों पर दिए गए निर्देशों को ध्यान से सुनें और पालन करें।
युद्ध सायरन की आवाज़ 120-140 डेसिबल तक हो सकती है और यह लगभग 2-5 किमी दूर तक सुनाई दे सकती है। यह आम सायरन की तरह तेज और लगातार नहीं बल्कि एक लंबी, गंभीर ध्वनि के रूप में होता है, जो आमतौर पर एंबुलेंस सायरन से अलग होता है। इसकी मुख्य भूमिका एयर स्ट्राइक से पहले लोगों को चेतावनी देना है, ताकि वे हमले से पहले सुरक्षित स्थानों पर पहुंच सकें।
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