द्वारका शारदा पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा कि अयोध्या में मंदिर तो बहुत हैं, लेकिन राम जन्मस्थान पर रामलला का मंदिर बनना चाहिए।
यह विचार उन्होंने रमणरेती मार्ग स्थित हाड़ा कुटीर में पत्रकार वार्ता में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि राजनीतिक लोग कहते हैं कि वे आदर्श राम का मंदिर बनाएंगे जबकि हम कहते हैं ब्रह्म राम का मंदिर बनाएंगे। कोई भी सरकार आज के संविधान के अनुसार धर्म निरपेक्ष होती है। वह राम मंदिर का निर्माण नहीं करा सकती। वह न मंदिर बना सकती है न ही मस्जिद और गुरुद्वारा का निर्माण कर सकती। मंदिर का निर्माण राम भक्तों द्वारा कराया जाएगा।
आसाराम को पहले ही हो जानी चाहिए थी सजा
आसाराम को पैदा करने वाले भारत के वे लोग हैं, जो चमत्कारों से प्रभावित होकर किसी को भी संत मान लेते हैं। यह परंपरा ईसाइयों से आई है। जब भी बड़े धर्माचारी आते हैं, उनके दलाल इस तरह का प्रचार करते हैं। यह तकनीक आसाराम, रामरहीम वालों ने शुरू की। भक्तों को सीख दी कि पानी पीजिए छान के और गुरु कीजिए जान के। उन्होंने कहा कि इस मामले में पहले ही निर्णय हो जाना चाहिए था। इस तरह के केसों के पीछे शिक्षा में धर्म शास्त्रों का दूर होना है। देश के मानव संसाधन मंत्रालय में धर्मशास्त्र नहीं है। भारत के अध्यात्म को सरकार ने छोड़ ही दिया है। शिक्षण संस्थानों में शिक्षा के साथ धर्म ग्रंथों की भी शिक्षा देनी चाहिए।
मंदिरों का अधिग्रहण अनुचित
उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा मंदिरों का अधिग्रहण करना अनुचित है। सरकारी व्यक्ति को क्या पता कि मंदिर की पूजा पद्धति-परंपरा क्या हैं। अफसरों को यह है कि मंदिरों में ज्यादा से ज्यादा लोग आएं और आमदनी का उपयोग हम करें। दूसरे धर्मस्थलों का अधिग्रहण करके दिखाएं।
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