अटल बिहारी जी के पांच रोचक किस्से, जिन्हें आप नहीं जानते होंगे

नई दिल्ली। भारत के पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी अब हमारे बीच नहीं रहे। गौरतलब है कि उन्हें बुधवार से ही जीवन रक्षक प्रणाली पर रखा गया है। पूर्व दर्जा राज्य मंत्री हयात सिंह माहरा ने उनकी यादें साझा करते हुए बताया कि अटल जब भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे, तब 10 नवंबर 1981 को उत्तराखंड के दौरे में आए थे।
उस समय पिथौरागढ़ जाते हुए उन्होंने चंपावत में रुक कर जनसभा को संबोधित किया था। अटल जी के भाषण में इतना जोश और ओज था कि राजमार्ग पर चलने वाले वाहन सवार खुद ब खुद उनका भाषण सुनने के लिए रुक गए। तब पिथौरागढ़ जिला ही हुआ करता था और वह जिला महामंत्री होते थे।
वरिष्ठ नेता श्याम नारायण पांडेय के अनुसार अटल का स्थानीय पर्यटक आवास गृह में स्वागत किया गया था, यहां से वह पैदल ही जिला मुख्यालय तक पहुंचे।उन्होंने बताया कि उस समय में पार्टी की ओर से 51 हजार रुपए की धनराशि स्थानीय तौर पर एकत्र कर उसे अटल बिहारी वाजपेयी को पार्टी फंड में जमा करने के लिए दिया।

उत्तराखंड के इस पौराणिक मंदिर में मां उमा से लिया था अटज बिहारी ने आशीर्वाद

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी अस्सी के दशक में चमोली जिले में आए थे और कर्णप्रयाग में पुजारी गांव स्थित पौराणिक मंदिर में मां उमा के दर्शन कर आशीर्वाद लिया था। बदरीनाथ दौरे से लौटने के बाद वाजपेयी ने यहां मुख्य बाजार में जनसभा की, जिसमें उन्होंने अविकसित पहाड़ की पीड़ा का मुद्दा उठाया था।इस दौरान अटल जी ने कर्णप्रयाग में मां उमा देवी के मंदिर में पूजा-अर्चना की थी।

अविभाजित उत्तर प्रदेश के इस हिमालयी क्षेत्र की विकट समस्याओं को उन्होंने समझा था। वाजपेयी ने उस समय तहसील मुख्यालय पर एक विद्यालय स्थापना के लिए भूमि पूजन भी किया था। पुजारी गांव निवासी और वरिष्ठ अधिवक्ता रवींद्र पुजारी कहते हैं कि 1983-84 में बदरीनाथ से लौटने के बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने कर्णप्रयाग मुख्य बाजार में सभा भी की, जिसमें वाजपेयी ने पहाड़ में मूलभूत सुविधाओं का टोटा और पहाड़ से पलायन के दर्द को छुआ था। उन्होंने बताया कि उस समय वाजपेयी की सभा में बहुत भीड़ जमा हुई थी।

भूकंप से आहत वाजपेयी ने नहीं मनाई थी होली

वर्ष 2002 में गुजरात के भुज और कच्छ में आए भयानक भूकंप में काफी लोगों के मारे जाने से आहत होकर तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी नैनीताल राजभवन आ गए थे। होली के दौरान 27 से 30 मार्च तक वह नैनीताल में रहे, लेकिन होली नहीं मनाई। यहां के शांत वातावरण में उन्होंने कुछ कविताएं भी लिखीं।प्रधानमंत्री रहते हुए उनकी ओर से दिए गए 100 करोड़ रुपए की बदौलत ही नैनीझील का सौंदर्यीकरण हुआ और एयरेशन से झील को पुनर्जीवन मिला।इसकी घोषणा उन्होंने नैनीताल प्रवास के दौरान ही की थी। भाजपा नेता होने के बावजूद प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी से भी उनकी घनिष्ठता थी। इसी कारण तिवारी उन्हें लेने बरेली गए और वहां से उनके साथ हेलीकॉप्टर से नैनीताल आए।

बॉलीवुड के सितारे भी मिले थे वाजपेयी से

नैनीताल में जब श्री वाजपेयी नैनीताल प्रवास पर थे उस दौरान यहां प्रसिद्ध फिल्म ‘कोई मिल गया’ की शूटिंग भी चल रही थी।सेंट जोसेफ में फिल्म के अधिकांश दृश्य फिल्माए गए। कुछ शूटिंग राजभवन में भी की गई।
इस दौरान फिल्म के निर्माता निर्देशक राकेश रोशन, नायक रितिक रोशन और नायिका प्रीति जिंटा ने राजभवन में श्री वाजपेयी से भेंट की थी।

बाजपेई को खूब भाती थी पहाड़ों की रानी मसूरी

देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई का मसूरी से बेहद लगाव था। अपने राजनीतिक जीवन काल में बाजपेई ने मसूरी में विभिन्न कार्यक्रमों में शिरक्त की। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई सबसे पहले 1982 में मसूरी आए। उस वक्त वे कैंपटी रोड स्थित हरियाणा हाउस में रूके थे। हरियाणा हाउस से हिमालय का उतुंग दृश्य दिखाई पड़ता है। जब भी बाजपेई मसूरी आए। भाजपा के कार्यकर्ताओं से जरूर मिलते थे।

1983 में भी बाजपेई मसूरी आए। और लाइब्रेरी स्थित एक होटल में कार्यकर्ताओं से बैठक की। उस वक्त एसके पुरी भाजपा के शहर अध्यक्ष थे। और मदनमोहन शर्मा महामंत्री थे। वर्ष 1985 में श्री बाजपेई ने लायंस क्लब के कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि शिरक्त की। और दून स्टूडियो में फोटो खिंचवायी। उस समय खुशहाल सिंह राणावत मसूरी मंडल अध्यक्ष थे।

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