नई दिल्ली। लंबे अरसे से भारत परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह यानी एनएसजी की सदस्यता के लिए प्रयासरत है। लेकिन के विरोध की वजह से भारत इस ग्रुप में शामिल नहीं हो पा रहा है। चीन के विरोध के बावजूद अमेरिका के बाद और ब्रिटेन भी खुलकर पक्ष में आ गया है। ब्रिटेन से साफ किया है वो भारत को इस ग्रुप शामिल होने का समर्थन करता है और इसके लिए वो कोशिश भी करेगा। ब्रिटेन ने अपने समर्थन का तर्क देते हुए कहा है कि भारत ने ग्रुप में शामिल होने के लिए अपनी योग्यताओं को साबित करने का काम किया है और भारत एक जिम्मेदार देश है।
गौरतलब है कि चीन के विरोध के बाद भी भारत नये सिरे से एनएसजी में प्रवेश पाने की कोशिश कर रहा है। पिछले दिनों अमेरिका के साथ 2+2 डायलॉग और अमेरिका द्वारा भारत को टियर-1 देशों में शामिल किये जाने के बाद भारत को उम्मीद है कि अमेरिका एनएसजी में उसकी एंट्री के समर्थन में खड़ा रहेगा। गुरुवार को एक उच्चस्तरीय बैठक हुई जिसके बाद एक राजनीतिक सूत्र ने जानकारी दी कि ब्रिटेन ने कहा है कि भारत के पास एनएसजी का सदस्य होने के लिए पर्याप्त योग्यता मौजूद है और हम मानते हैं कि उसे इस ग्रुप का सदस्य बनाने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए। अब यह चीन ही बता सकता है कि उसे भारत की सदस्यता को लेकर क्या दिक्कत।
दक्षिण और मध्य एशिया के लिए उप विदेशमंत्री एलिस वेल्स ने कहा कि एनएसजी आम सहमति पर आधारित संगठन है। चीन के विरोध के कारण भारत इसका सदस्य नहीं बन पा रहा है। उन्होंने कहा कि चीन के वीटो के कारण हम भारत को सहयोग करने से पीछे नहीं हटेंगे। हम एसटीए के दर्जे के साथ आगे बढ़े हैं और जानते हैं कि भारत एनएसजी की सदस्यता के लिए सभी मानदंडों को पूरा करता है। उन्होंने कहा कि भारत को कूटनीतिक व्यापार प्राधिकरण का दर्जा देकर अमरीका ने निकटतम सहयोगियों की सूची में रख दिया है।
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