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देहरादून। मोटर वाहन अधिनियम के चालान में हुए घपले की रकम को अब पुलिस अपनी जेब से भरेगी। पिछले साल ऑडिट में पकड़े गए इस मामले के बाद यातायात निदेशालय ने भी जांच कराई थी। उसके बाद पुलिस को करीब एक करोड़ रुपये की रिकवरी का नोटिस भेजा गया। इनमें सबसे ज्यादा रकम देहरादून पुलिस को करीब 36 लाख रुपये भरनी है। शेष रकम प्रदेश के अन्य जिलों की पुलिस को भरनी होगी।
मोटर वाहन अधिनियम की धारा-179 में यातायात और थाना पुलिस दोनों ही चालान काटते हैं। इस धारा में पहले 100 रुपये जुर्माना वसूला जाता था। कुछ समय पहले अधिनियम में हुए संशोधन में जुर्माने की रकम को 500 रुपये कर दिया गया। साल 2016-17 के दौरान प्रदेश की यातायात और थाना पुलिस ने तकरीबन 20 हजार से ज्यादा चालान इस धारा के तहत काटे गए थे। वर्तमान जुर्माने के प्रावधान के हिसाब से पुलिस को सरकारी खजाने में करीब एक एक करोड़ बीस लाख रुपये जमा कराने थे। मार्च-2018 में 2016-17 की अवधि का जब ऑडिट हुआ तो कुल चालान व निर्धारित जुर्माने के सापेक्ष मात्र 20 लाख रुपये खजाने में पाए गए। ऑडिट विभाग ने प्रथमदृष्टया इसे घपला मानते हुए यातायात निदेशालय को जांच कराने का पत्र लिखा। पुलिस का तर्क था कि उन्हें इसके बारे में जानकारी नहीं थी कि इस धारा में वर्तमान में 500 रुपये जुर्माना है, लिहाजा 100 रुपये के हिसाब से जुर्माना वसूला गया।
मामला सामने आने के बाद यातायात निदेशक केवल खुराना ने सभी जिलों की पुलिस से स्पष्टीकरण मांगा था। साथ ही यातायात पुलिस से भी जवाब तलब किया गया। जांच के बाद मामले में अब निदेशालय ने रिकवरी के आदेश दिए हैं। एसपी यातायात देहरादून प्रकाशचंद आर्य ने बताया कि देहरादून जनपद से लगभग 36 लाख रुपये की रिकवरी होनी है।
मोटर वाहन अधिनियम की धारा-179 में यातायात और थाना पुलिस दोनों ही चालान काटते हैं। इस धारा में पहले 100 रुपये जुर्माना वसूला जाता था। कुछ समय पहले अधिनियम में हुए संशोधन में जुर्माने की रकम को 500 रुपये कर दिया गया। साल 2016-17 के दौरान प्रदेश की यातायात और थाना पुलिस ने तकरीबन 20 हजार से ज्यादा चालान इस धारा के तहत काटे गए थे। वर्तमान जुर्माने के प्रावधान के हिसाब से पुलिस को सरकारी खजाने में करीब एक एक करोड़ बीस लाख रुपये जमा कराने थे। मार्च-2018 में 2016-17 की अवधि का जब ऑडिट हुआ तो कुल चालान व निर्धारित जुर्माने के सापेक्ष मात्र 20 लाख रुपये खजाने में पाए गए। ऑडिट विभाग ने प्रथमदृष्टया इसे घपला मानते हुए यातायात निदेशालय को जांच कराने का पत्र लिखा। पुलिस का तर्क था कि उन्हें इसके बारे में जानकारी नहीं थी कि इस धारा में वर्तमान में 500 रुपये जुर्माना है, लिहाजा 100 रुपये के हिसाब से जुर्माना वसूला गया।
मामला सामने आने के बाद यातायात निदेशक केवल खुराना ने सभी जिलों की पुलिस से स्पष्टीकरण मांगा था। साथ ही यातायात पुलिस से भी जवाब तलब किया गया। जांच के बाद मामले में अब निदेशालय ने रिकवरी के आदेश दिए हैं। एसपी यातायात देहरादून प्रकाशचंद आर्य ने बताया कि देहरादून जनपद से लगभग 36 लाख रुपये की रिकवरी होनी है।
क्या है धारा 179:
मोटर वाहन अधिनियम की धारा 179(1)-किसी भी व्यक्ति या प्राधिकारी सशक्त या एमवी एक्ट के तहत अपने कार्यों के निर्वहन में किसी भी व्यक्ति या प्राधिकारी निरोधक द्वारा दिए गए निर्देशों की अवहेलना करना।
मोटर वाहन अधिनियम की धारा 179 (2)- किसी भी यात्री द्वारा झूठी जानकारी देना। (दोनों में जुर्माना 500 रुपये है।)
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