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दिल्ली। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की नींद पूरी तरह से उड़ चुकी है। उनका सबसे बड़ा डर अगले हफ्ते होने वाली एक खास बैठक है. इस बात का अंदाजा उन्हें हालिया बयानों से पता लगने लगा है. इमरान खान ने देश के नाम संबोधन में कहा हैं कि 10 साल में पाकिस्तान का कर्ज़ 6000 अरब पाकिस्तानी रुपए से बढ़कर 30 हज़ार अरब पाकिस्तानी रुपए तक पहुंच गया है. इससे देश के पास अमेरिकी डॉलर की कमी हो गई. हमारे पास इतने डॉलर नहीं बचे कि हम अपने कर्ज़ों की किस्त चुका सकें. मुझे डर हैं कि कहीं पाकिस्तान डिफॉल्टर ना हो जाए.
आपको बता दें कि जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठनों पर एक्शन लेने में नाकाम रहा पाकिस्तान फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) द्वारा ब्लैकलिस्ट हो सकता है. आतंकी संगठनों पर कड़ी कार्रवाई नहीं करने पर पाकिस्तान पहले से ही FATF की ग्रे लिस्ट में है. इसके बाद पाकिस्तान को जैश और लश्कर के खिलाफ कार्रवाई करने का वक्त दिया गया था और उसे 27 एक्शन प्लान बताए गए थे.
16-21 जून के बीच होगा बड़ा फैसला- एफएटीएफ की अगली बैठक ओरलैंडों में 16 जून से 21 जून के बीच होगी. यहां पर पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट करने का प्रस्ताव लाया जा सकता है. इस बीच पाकिस्तान एक बार फिर से इस मीटिंग में अपने बचाव के लिए जवाब तैयार कर रहा है. अगर पाकिस्तान ब्लैक लिस्ट हो जाता है. उसे कोई भी बड़ी संस्था कर्ज़ नहीं देगी. ऐसे में उसके डिफॉल्ट होने का खतरा बढ़ जाएगा.
पाकिस्तानी पीएम इमरान खान
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को सता रहा है डर- पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अपने हालिया बयान में कहा है कि पाकिस्तान बुरे हालात से गुज़र रहा है. अगर फंडिंग रुक गई तो देश डिफॉल्ट हो जाएगा. मतलब साफ है कि बोरियों में रुपए भरकर ले जाते तो कुछ रोटियां मिलतीं. हमारा हाल भी वेनेज़ुएला वाला हो जाता. जब से सरकार में आया हूं तब से इसी दबाव में रहा. शुक्र है कि हमारे दोस्त मुल्क यूएई, सऊदी अरब और चीन से से मदद मिली.
क्या है FATF- यह दुनिया भर में आतंकी संगठनों को दी जाने वाली वित्तीय मदद पर नजर रखने वाली इंटरनेशनल एजेंसी है. यह एशिया-पैसिफिक ग्रुप मनी लॉन्ड्रिंग, टेरर फाइनेंसिंग, जनसंहार करने वाले हथियारों की खरीद के लिए होने वाली वित्तीय लेन-देन को रोकने वाली संस्था है. इस संस्था की रिपोर्ट के आधार पर FATF कार्रवाई करती है.
अब क्या होगा- एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में पाकिस्तान पहले से शामिल है. अगर वो इस लिस्ट से बाहर आना चाहता हैं तो उसे FATF के 36 में से 15 सदस्यों का वोट चाहिए होंगे.
वहीं, ब्लैकलिस्ट होने रोकने के लिए कम से कम 3 सदस्यों का वोट चाहिए. ओरलैंडों में होने वाली बैठक में पाकिस्तान पर की जाने वाली कार्रवाई पर भले ही मुहर लग जाए.
लेकिन इसकी औपचारिक घोषणा पेरिस में अक्टूबर में होने वाली FATF की बैठक में की जाएगी. ये बैठक 18 से 23 अक्टूबर के बीच होने वाली है.
अगर पाकिस्तान ब्लैक लिस्ट हुआ तो- दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी और फ्रांस ने एक प्रस्ताव पेश कर जून 2018 में पाकिस्तान के FATF के ग्रे लिस्ट में डाल दिया था. अगर पाकिस्तान को FATF ब्लैकलिस्ट कर देता है तो पाकिस्तान पर इसके बहुत बड़े असर होंगे.
ब्लैक लिस्ट होने पर पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से मिलने वाले 6 अरब डॉलर के कर्ज पर भी रोक लगाई जा सकती है.
आईएमएफ पहले ही कह चुका हैं कि पाकिस्तान को मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फाइनेंसिंग के खिलाफ वास्तविक कदम उठाने चाहिए. इसका मतलब है कि अगर पाकिस्तान को IMF से लोन चाहिए तो उसे FATF से क्लियरेंस लेना जरूरी है.
इसके अलावा कई और बड़ी संस्थाएं भी पाकिस्तान को फंडिंग से मना कर सकती है. ऐसे में पाकिस्तान पाई-पाई को मोहताज हो जाएगा.
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