नई दिल्ली। नेशनल इन्वेस्टिगेटिव एजेंसी (राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण, एनआईए) संशोधन विधेयक 2019 सोमवार को लोकसभा में बहुमत से पारित कर दिया गया। प्रस्ताव के पक्ष में 278 वोट पड़े जबकि इसके खिलाफ महज छह वोट पड़े. विधेयक पर लाए गए सभी संशोधन प्रस्तावों को मंजूर कर दिया गया।
गृहमंत्री अमित शाह ने सोमवार को लोकसभा में NIA बिल पेश करने के लिए अपनी बात रखी. उन्होंने कहा, ‘पोटा कानून को वोटबैंक से बचाने के लिए भंग किया गया था. पोटा से देश को आतंकवाद से बचाया जाता था, इससे आतंकवादियों के अंदर भय था, देश की सीमाओं की रक्षा होती थी. इस कानून को यूपीए की सरकार ने 2004 में आते ही भंग कर दिया।
अमित शाह ने कहा, ‘पोटा को भंग करना उचित नहीं था, ये सुरक्षा बलों के पूर्व अधिकारियों का भी मानना है. इससे आतंकवाद इतना बढ़ा कि स्थिति काबू में नहीं रही और एनआईए को लाने का फैसला किया गया था.’ शाह ने कहा, ‘आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करने वाली किसी एजेंसी को और ताकत देने की बात हो और सदन एक मत न हो, इससे आतंकवाद फैलाने वालों का मनोबल बढ़ता है. मैं सभी दलों के लोगों से कहना चाहता हूं कि ये कानून देश में आतंकवाद से निपटने में सुरक्षा एजेंसी को ताकत देगा.’
जब हो गई शाह-ओवैसी में बहस!
इसी विधेयक पर चर्चा के दौरान ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के सांसद असदुद्दीन ओवैसी और गृहमंत्री शाह के बीच बहस हो गई. दरअसल, सदन में इसी संशोधन विधेयक पर चर्चा के दौरान ओवैसी सहित विपक्षी सदस्यों ने बीजेपी के सत्यपाल सिंह को रोकना शुरू किया.
सत्यपाल सिंह ने आरोप लगाया कि हैदराबाद के तत्कालीन पुलिस कमिश्नर से राज्य के एक नेता ने एक विशेष मामले में जांच बदलने के लिए कहा था, ताकि उन्हें बाहर स्थानांतरित किया जा सके. उन्होंने कहा कि वह इस पूरी घटना के बारे में जानते हैं क्योंकि उस समय मुंबई पुलिस आयुक्त थे.
हैदराबाद के सांसद ओवैसी ने मांग की कि…
उनके दावे पर आपत्ति जताते हुए, हैदराबाद के सांसद ओवैसी ने मांग की कि सत्यपाल सिंह को उनके दावे से संबंधित सभी रिकॉर्ड सदन के पटल पर रखने चाहिए. इस पर, शाह अपनी सीट से उठ गए और कहा कि ट्रेजरी बेंच के सदस्यों ने भाषणों के दौरान विपक्षी सदस्यों को परेशान नहीं किया, इसलिए उन्हें भी ऐसा करना चाहिए. ओवैसी की ओर इशारा करते हुए शाह ने कहा कि विपक्षी सदस्यों में दूसरों की बात सुनने का धैर्य होना चाहिए.
यह है विधेयक
बता दें मौजूदा संशोधन के बाद गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) कानून की अनुसूची चार में संशोधन से एनआईए उस व्यक्ति को आतंकवादी घोषित कर पाएगी जिसके आतंक से संबंध होने का शक हो. साल 2008 में हुए 26/11 मुंबई आतंकवादी हमले के बाद साल 2009 में एनआईए का गठन किया गया था. इस हमले में 166 लोग मारे गए थे.
सूत्रों ने कहा कि साल 2017 से केंद्रीय गृह मंत्रालय दो कानूनों पर विचार कर रहा है ताकि नई चुनौतियों से निपटने के लिए एनआईए को और शक्ति मिल सके. प्रस्ताव के बारे में जानकारी रखने वाले सूत्रों ने पीटीआई को बताया था कि संशोधन एनआईए को साइबर अपराध और मानव तस्करी के मामलों की जांच करने की भी इजाजत देगा.
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