
मथुरा। 16 जुलाई की रात होने जा रहा ग्रहण 2 घंटे 59 मिनट तक रहेगा जोकि मध्यरात्रि 1 बजकर 32 मिनट पर प्रारंभ होकर प्रात: 4 बजकर 31 मिनट पर समाप्त हो जाएगा। इसके बाद 4:32 मिनट पर सूर्य कर्क राशि में प्रवेश करेगा।
सूर्य को भारतीय ज्योतिष में ग्रहों का राजा माना गया है। यहां इसके कर्क राशि में प्रवेश करते ही कर्क संक्रांति एवं श्रावण मास का प्रारंभ हो जाएगा। संक्रांति का पुण्यकाल 17 जुलाई की सुबह 10:56 तक रहेगा। इसी के साथ चातुर्मास व्रत-नियम, ध्यान पूजन की विविध विधियां जो चातुर्मास में होती हैं, सबका आरंभ हो जाएगा।
ज्योतिषचार्य पं. अजय कुमार तैलंग ने बताया कि आषाढ़ मास की पूर्णिमा का यह चंद्र ग्रहण भारत में आरंभ से लेकर इसके मोक्ष होने तक खंडग्रास के रूप में दिखाई देगा। पूरे 3 घंटे यह रहेगा। इसके 149 साल पूर्व ऐसा ही योग 12 जुलाई 1870 को गुरु पूर्णिमा पर्व पर देखने को मिला था। उस समय भी शनि, केतु और चंद्र के साथ धनु राशि में स्थित था और सूर्य, राहु के साथ मिथुन राशि में स्थित था।
ग्रहण के समय शनि और केतु, चंद्र के साथ धनु राशि में रहेंगे। ये ग्रह ग्रहण का प्रभाव और अधिक बढ़ाएंगे। सूर्य और चंद्र अपने चार विपरीत ग्रह शुक्र, शनि, राहु और केतु के घेरे में रहेंगे। मंगल नीच का रहेगा। सूर्य के साथ राहु और शुक्र रहेंगे। जो आकाशिय स्थितियां ग्रहण के समय बन रही हैं, उनसे जो होगा उस पर सभी ज्योतिष विद्वानों का मत है कि इस ग्रह योग की वजह से भारत सहित जिन देशों में भी यह दिखाई दे रहा है, उन सभी जगह आंतरिक एवं बाहरी तनाव बढ़ेगा। यह खंडग्रास चंद्रग्रहण इस बात के भी संकेत दे रहा है कि बाढ़, भूकंप, तूफान एवं अन्य प्राकृतिक आपदाओं से नुकसान होने के योग हैं।
खंडग्रास चंद्र ग्रहण का सूतक इसके प्रारंभ होने से 09 घंटे पहले ही लग जाएगा। सायं 4 बजकर 32 मिनट पर सूतक समय शुरू होगा और वह ग्रहण की समाप्ति के साथ ही खत्म होगा। इसलिए जिन्हें भी शुभ कार्य करने हैं, वह सूतक काल आरंभ होने से पूर्व ही पूरा कर लें।
ग्रहण का सभी बारह राशियों पर इसका अच्छा-बुरा प्रभाव पड़ेगा। मेष, कर्क, तुला, कुंभ, मीन, राशियों के लिए यह ग्रहण शुभ योग लेकर आ रहा है, जबकि मिथुन, वृषभ, सिंह, कन्या, वृश्चिक, धनु, मकर राशिवालों के लिए इस ग्रहण के ज्यादा अच्छे परिणाम नहीं होंगे।
हिन्दू सनातनी आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा का पूर्ण धार्मिक लाभ लेने के लिए अपने गुरुवर का ध्यान-पूजन तो करे हीं लेकिन यदि संभव हो तो श्री सत्यनारायण व्रत, यथा शक्ति दान, ऋषि वेद व्यास की जयंती, कोकिला व्रत अर्थात् कोयल के रूप में मां पार्वती की विशेष पूजा करें। रुद्राभिषेक करा सकते हैं। पूजन दोपहर 1.30 बजे से पहले यानी सूतक लगने से पूर्व करें। उसके बाद सूतक काल शुरु हो जाने से पूजा-पाठ नहीं हो सकेगी। सूतक और ग्रहण काल में सिर्फ मंत्र जाप करें पूजन नहीं।
Leave a Reply