जयपाल रेड्डी: इमरजेंसी लागू करने पर इंदिरा गांधी तक का किया विरोध

हैदराबाद। अपनी वक्‍तृत्व कला और मुखरता के लिए जाने जाने वाले दिग्गज कांग्रेसी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री जयपाल रेड्डी ने अपने पूरे राजनीतिक सफर में मूल्यों से कभी समझौता नहीं किया। यहां तक कि आपात काल लागू करने पर तत्‍कॉलीन राजनीतिक बॉस और पूर्व इंदिरागांधी का विरोध करने से भी नहीं हिचके। लंबी बीमारी के बाद जयपाल रेड्डी का निधन रविवार तड़के को हैदराबाद में हो गया।

पोलियो के कारण रेड्डी की सीमित शारीरिक गतिशीलता ने उन्हें राजनीतिक ऊंचाइयों को प्राप्त करने से कभी नहीं रोका। उन्होंने दो बार राज्यसभा के सदस्य के रूप में पांच बार लोकसभा सांसद के रूप में कार्य किया और चार बार विधायक रहे। इमरजेंसी लगाने के बाद कांग्रेस से बाहर आने के बाद वे जनता पार्टी में शामिल हो गए और 1980 में मेडक लोकसभा क्षेत्र में इंदिरा गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ा। हालांकि उन्‍हें हार का सामना करना पड़ा। बाद में वह जनता दल में शामिल हो गए।

उनके असाधारण वक्तृत्व कौशल और अभिव्यक्ति ने वाहवाही लूटने के अलावा उन्हें संयुक्त मोर्चा और राष्ट्रीय मोर्चा सरकारों और कांग्रेस पार्टी का प्रवक्ता बनाया। रेड्डी तेलंगाना के अलग राज्य के कट्टर समर्थक थे। कांग्रेस नेताओं ने उन्‍हें यूपीए-2 सरकार में ठोस भूमिका अदा की और तेलंगाना का अलग राज्‍य के लिए यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी को राजी करने में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाई।

तेलुगू चैनल से बातचीत में जयपाल रेड्डी ने कहा था कि अलग तेलंगाना राज्‍य के प्रदर्शन के दौरान उन्‍हें आंध्र प्रदेश के मुख्‍यमंत्री का पद के लिए पेशकश की गई, लेकिन उन्‍होंने अस्‍वीकार कर दिया था। 16 जनवरी, 1942 को तेलंगाना के महबूबनगर जिले के मडगुल में जन्मे रेड्डी ने अंग्रेजी साहित्य में स्नातकोत्तर किया और 1960 के दशक के प्रारंभ में छात्र नेता थे। कई दशकों तक वह सांसद रहे। उन्होंने विभिन्न सरकारों में महत्वपूर्ण विभाग दिए गए। उन्हें 1998 में सर्वश्रेष्ठ सांसद का पुरस्कार दिया गया। वे 1969 से 1984 तक आंध्र प्रदेश (अविभाजित) विधान सभा के सदस्य थे।

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