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नई दिल्ली। जम्मू और कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किए जाने के कुछ दिनों बाद, चुनाव आयोग परिसीमन को पूरा करने के लिए तैयार है. मिली रिपोर्ट के अनुसार पूरी योजना को पूरा होने में लगभग 14 महीने लगेंगे.
सूत्रों ने कहा कि चुनाव आयोग की योजना के अनुसार, पूरी प्रक्रिया नौ से 10 चरणों में पूरी होगी और यह प्रक्रिया गृह मंत्रालय से आधिकारिक अधिसूचना प्राप्त होते ही शुरू हो जाएगी. कहा गया है कि चुनाव आयोग ने वर्ष 2000-2001 में उत्तराखंड में अपने अनुभव के आधार पर रिपोर्ट तैयार की थी.
इसने पहले आयोग ने अपने अधिकारियों को परिसीमन के हालिया उदाहरणों का अध्ययन करने के लिए कहा था – जैसे कि उत्तराखंड को उत्तर प्रदेश से अलग करने के बाद किया गया था.
परिसीमन प्रक्रिया को अंजाम देते समय, जनसंख्या को सीमाओं के पुनर्वितरण और आवंटन के आधार बनाया जाता है. यह कार्य चार सदस्यीय परिसीमन आयोग को सौंपा गया है, जिसमें से एक सदस्य चुनाव आयोग का प्रतिनिधित्व करता है.
परिसीमन के बाद क्या होगी सूरत?
जम्मू और कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश में उपराज्यपाल होंगे और इसकी विधानसभा की अधिकतम शक्ति 107 होगी जो परिसीमन के बाद 114 तक बढ़ जाएगी. विधानसभा की चौबीस सीटें खाली रह जाएंगी क्योंकि वे पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के अंतर्गत आते हैं.
बता दें संसद ने पिछले महीने राज्य को दो हिस्सों में बांटने के कानून को मंजूरी दे दी थी.
राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने जम्मू-कश्मीर, और दो केंद्र शासित प्रदेशों, जम्मू और कश्मीर, और लद्दाख के विभाजन के कानून पर सहमति दी. दोनों केंद्र शासित प्रदेशों में, कानून और व्यवस्था जैसे प्रमुख विषय केंद्र के पास होंगे.
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