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नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग ‘समाज और राष्ट्र’ के खिलाफ अपराध है. आईएनएक्स मीडिया मनी लॉन्ड्रिंग मामले में बड़ी साजिश का पता लगाने के लिये पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम से हिरासत में पूछताछ करने की आवश्यकता है.
प्रवर्तन निदेशालय ने न्यायमूर्ति आर भानुमति और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ से कहा कि वह फिलहाल चिदंबरम से जांच के दौरान जुटाई गई सामग्री को नहीं दिखा सकता क्योंकि धन किन-किन हाथों से गुजरा इससे जुड़े साक्ष्य को नष्ट किया जा सकता है.
जांच करना एजेंसी का विशेषाधिकार वाला क्षेत्र
ईडी (ED) की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि ‘अग्रिम जमानत के स्तर पर आरोपी को सामग्री, सूत्र और साक्ष्य दिखाने की कोई जरूरत नहीं है’ और जांच करना जांच एजेंसी का विशेषाधिकार वाला क्षेत्र है.’
उन्होंने कहा, ‘‘धन शोधन समाज और राष्ट्र के खिलाफ अपराध है और समूची साजिश का पता लगाना जांच एजेंसी का अधिकार और कर्तव्य है.’’ उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत ने लगातार कहा है कि आर्थिक अपराध ‘गंभीर से गंभीरतम’ प्रकृति के हैं, भले ही उनके लिये सजा कुछ भी निर्धारित हो.
तुषार मेहता बोले- मेरे पास सबूत
मेहता ने कहा, ‘‘मेरे पास 2009 के बाद और अब भी (आईएनएक्स मीडिया मामले में) धन शोधन जारी रहने की बात दर्शाने के लिये सामग्री है.’’ उन्होंने कहा कि ईडी चिदंबरम से हिरासत में और अग्रिम जमानत के ‘सुरक्षा कवच’ के बिना पूछताछ करना चाहती है.
शीर्ष अदालत चिदंबरम द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही है. उन्होंने आईएनएक्स मीडिया मामले में सीबीआई और ईडी द्वारा दर्ज भ्रष्टाचार और धन शोधन के मामलों में उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज करने के उच्च न्यायालय के 20 अगस्त के फैसले को चुनौती दी है.
इससे पहले शीना बोरा हत्याकांड में मुख्य आरोपी इंद्राणी मुखर्जी ने कहा था कि आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार एवं धनशोधन मामले में पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदंबरम की गिरफ्तारी ‘‘अच्छी खबर’’ बताया था.
बता दें सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला 5 सितंबर तक सुरक्षित रख लिया है. ऐसे में पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ईडी की हिरासत से अंतरिम राहत मिल गई है.
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