महाराष्ट में उद्धव ठाकरे के सामने सरकार चलाने को लेकर बड़ी चुनौती है। आपको बता दें कि महाराष्ट्र में शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी गठबंधन की सरकार चल रही है। अभी हाल ही में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने अपने पहले मंत्रिमंडल का विस्तार किया जिसमें कई बड़े नेताओं को जगह नहीं मिली जिससे काफी लोग उद्धव ठाकरे से नाराज चल रहे हैं।
महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार में सबकुछ सही नहीं चल रहा है. मंत्रिमंडल विस्तार के बाद से ही लगातार मंत्री पद न मिलने पर विधायकों की नाराजगी की खबरें सामने आ रही थी. शिवसेना के एकमात्र मुस्लिम मंत्री अब्दुल सत्तार ने शनिवार को अपने राज्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को अपना इस्तीफा भेज दिया है. बताया जा रहा है कि कैबिनेट मंत्री पद नहीं मिलने के कारण अब्दुल सत्तार नाराज चल रहे थे।
अभी कुछ दिन पहले कांग्रेस के नेता द्वारा लिखी किताब में वीर सावरकर और नाथू राम गोडसे को लेकर अभद्र टिप्पणी की गई थी जिसके बाद शिवसेना नेता और प्रवक्ता संजय राउत ने नाराजगी जाहिर की थी लेकिन इस मामले पर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे चुप रहे। मिली खबरों के अनुसार इस गठबंधन में सब ठीक नहीं चल रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों द्वारा ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि जल्द ही यह गठबंधन टूट सकता है।
महाराष्ट्र में गठबंधन की सरकार में कहीं न कहीं अभी भी उठापटक का दौर जारी है। अब शिवसेना नेता अब्दुल सत्तार ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के मंत्रिमंडल से इस्तीफ़ा दे दिया है।
खबर है कि अब्दुल सत्तार ने उद्धव ठाकरे के मंत्रिमंडल से इस्तीफ़ा दे दिया है। हालाँकि उन्होंने ये इस्तीफ़ा मुख्यमंत्री को नहीं भेजा है। दरअसल अब्दुल सत्तार को राज्य मंत्री बनाए जाने की वजह से शिवसेना के कई नेता नाराज थे जिसके बाद उन्होंने इस्तीफ़ा दे दिया। कुछ दिनों पहले ही उद्धव सरकार में 36 मंत्रियों ने शपथ ली थी। जिनमें एक उपमुख्यमंत्री, 25 कैबिनेट और 10 राज्य मंत्री शामिल हैं। बताते चलें कि महाराष्ट्र में कांग्रेस और एनसीपी ही नहीं अपितु शिवसेना ने भी मुस्लिम समुदाय को अपने साथ साधे रखने के लिए अपने कोटे से मंत्री बनाया था।
वहीं ये भी खबर है कि अब्दुल राज्य मंत्री और हल्का मंत्री पद दिए जाने से नाराज थे। इस वजह से उन्होंने इस्तीफ़ा दिया लेकिन उन्होंने अपना इस्तीफ़ा मुख्यमंत्री ठाकरे को न भेजकर शिवसेना के एक नेता अनिल देसाई को भेजा है। इस घटना के बाद शिवसेना के नेताओं ने अब्दुल सत्तार को मनाने की कोशिश शुरू कर दी है लेकिन सत्तार अपने इरादे पर अड़िग रहने की बात कह रहे हैं। अब्दुल की इस कार्रवाई को दबाव की रणनीति बताई जा रही है
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