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नई दिल्ली। आयुर्वेदिक चिकित्सा में लंबे समय कालमेघ के पौधे का इस्तेमाल किया जा रहा है। स्वाद में कड़वा व औषधीय गुणों से भरपूर कालमेघ को ‘बिटर के राजा’ के नाम से भी जाना जाता है। इसका इस्तेमाल आयुर्वेदिक औषधी के रूप में होता है, जो कि स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी है। कालमेघ सामान्य बुखार व रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने से लेकर पेट की गैस, कीड़े, कब्ज, लिवर की समस्याओं इत्यादि के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जाता है। myUpchar के अनुसार, कालमेघ में एंटीबैक्टीरियल, एंटीऑक्सीडेंट के अलावा जलन-सूजन कम करने, बुखार कम करने व लिवर को सुरक्षा देने संबंधी गुण होते हैं। यह मलेरिया व अन्य प्रकार के बुखार के लिए जबर्दस्त दवा है. इसकी न्यूनतम दैनिक खुराक प्रतिदिन 60 मिलीग्राम और अधिकतम 300 मिलीग्राम है।
कुछ मामलों में इसके उपयोग को लेकर सावधानी बरतने की जरूरत होती है, क्योंकि कुछ लोगों में एलर्जी, सिरदर्द, थकान, गैस्ट्रिक समस्या, जी मचलाना, दस्त आदि शिकायते हो सकती हैं. गर्भावस्था के दौरान इसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. इसके अलावा रक्त प्रवाह संबंधी विकार, हाई ब्लड प्रेशर, अल्सर, हाइपर एसिडिटी में भी इसके सेवन से बचना चाहिए।
डायबिटीज के इलाज में
शोध में साबित हुआ है कि कालमेघ डायबिटीज के इलाज में इस्तेमाल होने वाली जड़ी-बूटियों में सबसे प्रभावशाली है। यह शरीर में ब्लड ग्लूकोज के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करती है।
हृदय स्वास्थ के लिए फायदेमंद
कालमेघ के पौधे में एंटी-क्लॉटिंग गुण होते हैं, जो कि खून के नियमित प्रवाह को बनाए रखने में मदद करता है. इससे दिल के दौरे पड़ना का जोखिम कम हो जाता है। इसके अलावा कालमेघ का पौधा क्लॉटिंग को रोकने में भी असरदार है।
कम करता है बुखार
यदि किसी को लंबे समय से बुखार या सामान्य बुखार है तो ऐसे में कालमेघ के पौधे से स्थिति को ठीक किया जा सकता है। 3 से 4 ग्राम कालमेघ लेकर उसके चूर्ण से काढ़ा बनाएं। इसे उबाल लें जब तक पानी एक चौथाई न बचे। बुखार होने पर दिन में दो बार पिएं. आप चाहें तो स्वाद के लिए मिश्री मिला सकते हैं।
नींद संबंधी परेशानी को करता है दूर
नींद न आने की शिकायत करने वालों के लिए कालमेघ बड़े काम का है. इसका रस पीने से अनिद्रा की परेशानी दूर हो सकती है। कालमेघ एंटी-स्ट्रेस की तरह काम करता है, यानी यह तनाव को दूर करने में मदद करता है, जिससे अच्छी नींद आती है।
हेल्दी लिवर
कालमेघ लिवर की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। इसे आंवला चूर्ण और मुलेठी के साथ खूब उबालें। फिर काढ़े को छानकर इसका सेवन करें। बता दें, पारंपरिक चिकित्सा में पीलिया के लिए इसकी पत्तियों का इस्तेमाल होता है।
कब्ज से छुटकारा
कालमेघ के चूर्ण का सेवन करके कब्ज की शिकायत को दूर किया जा सकता है। इसके लिए कालमेघ, आंवला और मुलेठी के चूर्ण को खूब उबाल लें और फिर अच्छे से छानकर दिन में दो बार पिएं।
घावों के लिए असरदार
घावों को ठीक करने में कालमेघ बहुत फायदेमंद है। यह चोट के निशान को भी कम करने में मदद करता है। आपको प्रभावित हिस्से पर कम मात्रा में कालमेघ का चूर्ण लगाकर पट्टी करने की जरूरत है।
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