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नई दिल्ली। भारत में श्वेत क्रांति के जनक और मिल्कमैन के नाम से मशहूर डॉ. वर्गीज कुरियन को सम्मानित करने के उद्देश्य से हर साल 26 नवंबर को ‘नेशनल मिल्क डे’ मनाया जाता है। इसकी शुरुआत फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गनाइजेशन की तरफ से साल 2014 में की गई थी। श्वेत क्रांति जिसे ऑपरेशन फ्लड के नाम से भी जाना जाता कि शुरुआत 1970 में हुई थी और इसे दुनिया का सबसे बड़ा डेयरी डेवलपमेंट प्रोग्राम माना जाता है जिसने भारत को दूध की कमी वाले देश से दुनिया में दूध के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक में बदल दिया. दूध पीना सेहत के लिए कितना फायदेमंद है ये तो हम सभी जानते हैं। ऐसे में नेशनल मिल्क डे के मौके पर हम आपको बता रहे हैं कि आखिर आयुर्वेद में दूध पीने के बारे में किन नियमों को बताया गया है।
एक संपूर्ण आहार है दूध
प्रोटीन, कैल्शियम के अलावा फैटस कार्बोहाइड्रेट और कई तरह से विटामिन्स और मिनरल्स से भरपूर दूध को एक संपूर्ण आहार माना जाता है और यही वजह है कि दूध हम भारतीयों के डाइट का अहम हिस्सा है। अपने पोषण से जुड़ी खूबियों और पाचन से जुड़े तत्वों की वजह से आयुर्वेद में भी दूध का एक अहम स्थान है। आयुर्वेद की मानें, तो अगर आप दूध के सेहत से जुड़े सभी फायदों का लाभ उठाना चाहते हैं तो आपको पता होना चाहिए कि दूध कब पीना, कैसे पीना है और कितना पीना है।
फलों को दूध में मिलाकर मिल्कशेक न पिएं
बनाना मिल्क शेक, मैंगो मिल्क शेक, फलों के फ्लेवर वाली दही- ये कुछ ऐसी चीजें हैं जो बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी को बेहद पसंद आती हैं और हम सोचते हैं इनका सेवन करना सेहतमंद है। लेकिन आयुर्वेद की मानें तो सभी तरह के खट्टे फल के अलावा केला, आम और तरबूज जैसे फलों को भी दूध में मिलाकर मिल्क शेक बनाकर या फिर दही में मिलाकर नहीं खाना चाहिए. इसका कारण ये है कि दूध में फल खासकर केले को मिलाकर जब बनाना मिल्कशेक बनाकर पिया जाता है तो यह भोजन को पचाने के लिए पेट में जो गर्मी होती है उसे बुझा देती है और साथ ही आंत में मौजूद अच्छे और बुरे बैक्टीरिया को भी प्रभावित करता है, जिसकी वजह से सर्दी-खांसी, एलर्जी, साइनस आदि की समस्या हो सकती है।
दूध पीने का सही समय क्या है?
अगर आप चाहते हैं कि आपके शरीर को दूध का सारा फायदा मिले, तो आपके लिए यह जानना जरूरी है कि आपको दिन के किस समय दूध पीना चाहिए और कब नहीं। आयुर्वेद के एक्सपर्ट्स की मानें तो अगर आप बॉडी बनाना चाहते हैं और सेहत बेहतर करने के लिए दूध पी रहे हैं तो आपको सुबह के समय दूध पीना चाहिए। लेकिन सुबह-सुबह दूध पीना पेट के लिए भारी हो सकता है इसलिए ज्यादातर लोग रात में सोने से पहले दूध का सेवन करने की सलाह देते हैं। इसका कारण ये है कि रात में दूध पीने से नींद अच्छी आती है। इसके अलावा शाम के समय एक गिलास दूध पीना बुजुर्गों की सेहत के लिए अच्छा माना जाता है।
ठंडा दूध न पिएं
बहुत से लोगों को ठंडा दूध पीना अच्छा लगता है लेकिन ऐसा करना आपकी सेहत के लिए ठीक नहीं है। आयुर्वेद की मानें तो आपको फ्रिज से निकालकर ठंडा दूध नहीं पीना चाहिए क्योंकि ठंडे दूध को पचाना सेहत के लिए मुश्किल होता है। इसकी जगह आपको दूध को उबालकर ही पीना चाहिए। इसके लिए पहले तो दूध को उबलने दें और 5 से 10 मिनट तक धीमी आंच पर रहने दें। दूध को उबालने से उसकी आणविक संरचना में बदलाव होता है जिस वजह से यह आसानी से पच जाता है। इसके अलावा गर्म दूध पीने से कफ दोष में कमी आती है। आप चाहें तो गर्म दूध में चुटकी भर हल्दी या फिर चुटकी भर काली मिर्च या दालचीनी डालकर भी पी सकते हैं। इन मसालों को दूध में डालकर पीने से दूध का भारीपन कम हो जाता है और दूध का जो एक दुष्प्रभाव है कफ बनाना- उसमें भी कमी आती है।
इम्यूनिटी बढ़ाने में मदद करता है दूध
आयुर्वेद के अनुसार, दूध हमारे शरीर को ऐसा पोषण प्रदान करता है जिसे किसी अन्य भोजन से प्राप्त नहीं किया जा सकता. दूध, जब ठीक से पच जाता है तो यह शरीर के सभी ऊतकों को पोषण देता है, संतुलित भावनाओं को बढ़ाता है और सभी दोषों (वात, पित्त और कफ) को संतुलित करने में मदद करता है. यह ओजस को बढ़ावा देने के लिए सबसे महत्वपूर्ण खाद्य पदार्थों में से एक है. आयुर्वेद के अनुसार, ओजस एक परिष्कृत पदार्थ है जिसे शरीर उचित पाचन के बाद उत्पन्न करता है. आयुर्वेद के अनुसार ओजस शरीर को ताकत देता है, इम्यूनिटी को बढ़ाता है और खुशी और संतोष देने का काम करता है. इसलिए, हमें नियमित रूप से अपने आहार में दूध को शामिल करना चाहिए.
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