
यूनिक समय, मथुरा। सामान्य तौर पर देखा जाता है हम किसी भी चीज की सुगंध की ओर काफी जल्दी आकर्षित होते हैं। कोई भी अच्छी खुशबू जो हमें अच्छी लगती है हमें अपनी ओर खींचती है। इसके साथ यह भी माना जाता है कि खुशबूदार वस्तुएं वातावरण में नकारात्मकता को भी समाप्त करती हैं। ऐसा माना जाता है कि सुंगंधित वस्तुओं का संबंध वास्तुशास्त्र से भी होता है। वास्तुशास्त्र के अुनसार, केवल उन सुगंधों का ही इस्तेमाल करना चाहिए, जो पहले प्रभाव में हमारे मन को अच्छे लगे। साथ ही ऐसी खुशबू जिससे एलर्जी हो या जो मन को न भाए उससे दूर रहना चाहिए। आइए जानते हैं कि वास्तुशास्त्र के अनुसार, किस तरह की सुगंध का हम कैसा लाभ ले सकते हैं।
इसलिए रात में जलाएं कपूर
वास्तुशास्त्र के अनुसार, सुगंधित वस्तुओं के सही इस्तेमाल से मन और शरीर से जुड़ी कई बीमारियां दूर होती हैं। रात्रि में सोने से पूर्व घी में भिगोया हुआ कपूर जलाना चाहिए। इससे तनावमुक्ति और गहरी नींद आती है। शरीर को हमेशा सुगंधित और साफ-सुथरा बनाए रखें। महीने में दो बार किसी भी दिन घर में उपले जलाकर लोबान या गुग्गल की धूनी देने से घर में ऊपरी हवा का बचाव रहता है ऐसा मान्यताएं कहती हैं। दरअसल इससे राहु का प्रकोप दूर होता है।
अच्छी खुश्बू से मन भी स्थिर रहता है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, सुगंधित चीजों के उपयोग से ग्रहों का दुष्प्रभाव भी खत्म होता है। जैसे, चंद्र ग्रह संबंधित कोई समस्या है तो चमेली या रात रानी के इत्र का उपयोग करने से फायदा होता है। मंगल ग्रह से जुड़ी अगर कोई परेशानी है तो लाल चंदन का इत्र या गुलाब का इत्र लगाने से फायदा होता है।
यदि आपके घर-परिवार में लड़ाई-झगड़े बने रहते हैं तो इसके लिए घर के पूजाघर में घी का दीपक जलाएं, इससे घर में शांति बनी रहती है। कपूर और अश्वगंधा की सुगंध घर में फैलानी चाहिए। बृहस्पति और रविवार को गुड़ और घी मिलाकर कंडे पर जलाने से भी वातावरण सुगंधित होता है। घर में यदि कोई जगह ऐसी हो, जहां धूप न पहुंचती हो तो उस स्?थान पर कपूर जलाकर रख देना चाहिए, जिससे उस स्थान में सकारात्मक ऊर्जा बढेगी।
प्राकृतिक फूलों में सुगंध भरपूर होती है और इनकी सुगंध से मन पर कोई दुष्प्रभाव भी नहीं पड़ता है इसलिए घर में ज्यादा से ज्यादा इस तरह के फूलों को उपयोग में लिया जाना चाहिए। धन से संबंधित किसी भी काम के लिए जाने से पहले मोगरे की सुगंध का इस्तेमाल करें, इससे लक्ष्मी मां की कृपा सदैव बनी रहती है।
काम भाव को बढ़ाता है यह सुगंध
वास्तुशास्त्र कहता है कि बेला-चमेली की सुगंध का प्रयोग केवल विवाहित दंपत्तियों को ही करना चाहिए। इसकी सुगंध काम भाव पैदा करती है। मन की शांति के लिए रात रानी का पौधा बेडरूम के बाहर लगाएं अथवा उसके फूल से कमरे को सजाएं। विभिन्न प्रकार की खुशबुओं व उनके उपयोग पर शोध कर चुके तमाम देश-विदेश के वैज्ञानिकों के अनुसार, फूलों की खुशबू में ऐसा गुण है, जो एक प्राकृतिक औषधि की तरह नुकसान पहुंचाए बिना हर प्रकार के रोगों को ठीक करने में सक्षम है।
स्टडी रूम में ना करें इस सुगंध का प्रयोग
घर में जिस स्थान पर बैठकर अध्ययन करते हैं उस स्थान पर भी सुगंधित वस्तुओं को रखना चाहिए इससे नकारात्मकता दूर होती है। वैसे छात्रों को पढाई करते समय और स्टडी रूम में गुलाब की सुगंध का प्रयोग नहीं करना चाहिए। वास्तु विज्ञान के अनुसार, गुलाब की सुगंध कुछ ऐसी होती है जिससे मन स्थिर नहीं रहता है और इससे चंचलता बनी रहती है।
सुबह की पूजा में यह सुगंध कभी नहीं
सुबह की पूजा के समय मोगरे व लेवेंडर की तीखी खुशबू वाली धूप-बत्तियों का प्रयोग नहीं करना चाहिए, क्योंकि मोगरे की खुशबू काफी तेज होती है, जो दिलो दिमाग को अस्थिर करती है और मादकत लाती है। इसकी महक से आलस और नींद भी अनुभव कर सकते हैं। सायं कालीन पूजा में इनका प्रयोग किया जा सकता है
हफ्ते में एक बार हवन सामग्री का धूप
यदि घर का कोई सदस्य यदि किसी कारणवश तनाव या डिप्रेशन में हो तो वास्तुशास्त्र के अनुसार, घर में हर हफ्ते में कम से कम एक बार हवन सामग्री जलाने व घर के सभी हिस्सों में धूनी देने से राहत मिलती है। हवन सामग्री के विकल्प के रूप में लोहबान या गुग्गल का उपयोग किया जा सकता है। वैज्ञानिक तथ्?य के अनुसार, वायु जब औष?धीय पौधों के बीच होकर गुजरती है तो उसके जीवनदायिनी ऊर्जा के प्रभाव में वृद्धि हो जाती है। यह शुद्ध और सुगंधित वायु जब घर के आंगन, लॉबी, रसोईघर, बेडरूम आदि स्थानों में जाती है तो वहां रहने वालों का स्वास्थ्य उत्तम बना रहता है।
मिट्टी की खुशबू का भी है लाभ
बारिश होने पर या जब भी मिट्टी गीली होती है तो उससे एक सोंधी-सोंधी खुशबू आती है, जो शायद ही किसी को पसंद न आती हो।
वास्तुशास्त्र कहता है कि मिट्टी पर बारिश की बूंदों से आने वाली खुशबू हर तरह के तनाव को दूर करने में उपयोगी है। गांव आदि क्षेत्रों में आज भी नकसीर फूटने पर मिट्टी को पानी में भिगोकर सूंघाते हैं।
ओस पड़ने के बाद सुबह के समय खेतों से उठने वाली प्राकृतिक खुशबू आंखों की रोशनी बढ़ाने और शरीर की थकान दूर करने में लाभकारी मानी जाती है।
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