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नई दिल्ली। सरसों का तेल हो या रिफाइंड ऑयल बीते कुछ वक्त से कीमतें लगातार उछाल मार रही हैं. सबसे ज्यादा महंगाई सरसों के तेल और सूरजमुखी ऑयल पर देखी जा रही है। अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ का मानना है कि हाल ही में देश और विदेश में उपजे ऐसे कई बड़े कारण हैं जिसकी वजह से खाने के तेल की कीमतें लगातार बढ़ रही है। हालांकि केन्द्र सरकार ने महासंघ की मांग पर पॉम ऑयल में 10 फीसद तक आयात शुल्क कम कर दिया था, लेकिन कुछ नए कारणों के चलते इस राहत से भी कीमतों पर कोई असर नहीं पड़ा।
अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के अध्यक्ष शंकर ठक्कर का कहना है, “भारत में खाने के तेल की खपत का 65 फीसदी से भी ज्यादा अधिक तेल आयात करना पड़ता है. जबकि इस वक्त विदेशों में तेल की कीमतें खुद ही बढ़ी हुई हैं. क्योंकि मौसम खराब होने के चलते पहले ही वहां पर फसलें खराब हो चुकी हैं।
लैटिन अमेरिका में खराब मौसम ने सोयाबीन के उत्पादन को खासा प्रभावित किया है। इंडोनेशिया में पाम तेल का उत्पादन नहीं बढ़ा है। वहीं मलेशिया में ऑटो ईधन के रूप में 30 फीसद तक पॉम ऑयल मिलाने की मंजूरी के चलते भी इसकी सप्लाई पर असर पड़ा है. अर्जेंटीना में हड़ताल के चलते भी नरम तेलों की सप्लाई पर बड़ा असर पड़ा था।
इस कदम से मई-जून तक कम हो सकती है महंगाई
अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के महामंत्री तरुण जैन का कहना है, “हमने खाने के तेलों पर से महंगाई कम करने के लिए केन्द्र सरकार से मांग की है कि तेलों पर से जीएसटी हटा देनी चाहिए। वहीं हम सरकार से यह मांग भी कर रहे हैं कि कुछ महीनों के लिए टैरिफ दर को कम कर दिया जाए, जिससे कि आयात शुल्क प्रभावी हो जाए. एक बड़ी यह मांग भी की है कि सरकार सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से खाद्य तेल की बिक्री को सब्सिडी देने की योजना बनाए, क्योंकि अप्रैल-मई तक कीमतें स्थिर रहने की उम्मीद है।
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