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दिल्ली ब्यूरो
यूनिक समय, नई दिल्ली। कृषि बिलों के विरोध में चल रहे किसान आंदोलन पर सुप्रीम कोर्ट का सुप्रीम फैसला आ गया। इस फैसले से यह माना जा रहा है केंद्र सरकार को बड़ा झटका लगा है।
सर्वोच्च अदालत न फैसले में तीनों कृषि कानूनों के अमल पर रोक लगाते हुए चार सदस्यों की एक कमेटी का गठन कर दिया है। मुख्य न्यायधीश एसए बोबडे की अगुवाई वाली बेंच ने यह फैसला सुनाया। फैसले में बनाई गई समिति में चार सदस्यों बीके यू के अध्यक्ष जितेंद्र सिंह मान, अंतर्राष्ट्रीय नीति प्रमुख डा. डॉ. प्रमोद कुमार जोशी, कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी तथा शिवकेरी संगठन महाराष्ट्र के अनिल धनवत को शामिल किया गया है।
सुप्रीम फैसले के बाद भी आंदोलनकारी किसान पीछे हटने के लिए तैयार नहीं है। वह कृषि बिलों को वापस लेने की मांग पर अड़े हैं। सरकार भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर मंथन कर रही है।
भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष राकेश टिकैत ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा किसानों के प्रति दिखाए गए सकारात्मक रुख का आभार जताया। उन्होंने किसानों की मांग कानून को रद्द करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानून बनाने की है। हुंकार भरते उन्होंने कहा कि मांग पूरी ना होने तक आंदोलन जारी रहेगा।
श्री टिकैत ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का परीक्षण कर संयुक्त मोर्चा कल आगे की रणनीति की घोषणा करेगा। गौरतलब है कि कल और आज चली सुनवाई को लेकर सभी की निगाहें सुप्रीम कोर्ट के फैसले की ओर लगी थी। फैसला आने के बाद राजनीति बयानबाजी शुरु हो गई।
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