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यूनिक समय, बरसाना। उड़ता रंग गुलाल, हर कोई रंग में सराबोर, होली की मस्ती और होली के गीतों पर झूमते श्रद्धालु। फिर एक दूसरे से जमर खेली होली। ऐसी होली का नजारा बरसाने की गलियों और नंदगांव के नंदभवन महल में देखने को मिला। लठामार होली से पहले रंग-गुलाल और लड्डुओं की होली खेली गई। जब जग होरी जा ब्रज होरा। वास्तविकता में यही कहावत वर्तमान में मथुरा के बरसाना व नंदगांव की गलियों में चरितार्थ हो रही है। बरसाना राधारानी का गांव है और नंदगांव श्रीकृष्ण का है।
पौराणिक आधार पर द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने राधारानी व उसकी सखियों के साथ होली खेली तो नटखट कन्हैया के उत्पात से नाराज होकर राधारानी ने सखियों के संग लाठी से प्रहार किया था।
यही प्रेम की होली हजारों वर्ष से चली आ रही है। इसी परंपरा में 23 मार्च मंगलवार की सांय को नंदगांव के हुरियारे बरसाने की हुरियारिनों से होली खेलने आएंगे। बरसाने की हुरियारिन नंदगांव के हुरियारों पर खूब लाठिया बरसाएंगी। इन लाठियों को कई दिन पूर्व से तैयार कर लिया गया है। दूसरे दिन 24 मार्च बुधवार को अपनी हुरियारिनों का बदला लेने के लिए बरसाने के हुरियारे नंदगांव होली खेलने जाएंगे। बरसाने में लठामार होली से पहले सोमवार को श्रीजी महल में लड्डूमार होली खेली गई।
होली से पूर्व रसिया गायन और नृत्य की थिरकन पर श्रद्धालु भावविभोर दिखायी दिये। कान्हा के गांव नंदगांव में राधारानी के गांव बरसाना से लठामार होली का निमंत्रण पहुंचा। बरसाना से लाडली जी की दर्जन भर से अधिक सहचरी ढोल-नगाडों के साथ नंदभवन पहुंचीं। सखियों के नंदभवन में प्रवेश करते ही पहले से पलक पांवडे बिछाये ग्वालों ने सभी सखियों का चुनरी उढाकर स्वागत किया। बरसाना के लाड़ली जू मंदिर में शाम 5 बजे से पांडे लीला और लड्डू होली का भव्य आयोजन हुआ।
परंपरागत लड्डू होली में आंनद लेने के लिए भीड़ उमड़ पड़ी। इस दौरान समाज गायन और ब्रज के पारंपरिक रसियाओं ने आनंद रस की ख्ूाब बरसा। श्रद्धालुओं पर खूब लड्डू फैंके गये जिसको प्रसाद समझकर श्रद्धालुओं ने अपने ऊपर लिया। फिर उस प्रसाद को ग्रहण किया।
प्रयागराज से आये लवकुश द्विवेदी ने बताया कि ब्रज की लठामार होली जैसा आनंद दुनिया में नहीं हैं यह भगवान श्रीकृष्ण व राधा के प्रेम की होली है। इसे देखने के लिए देवलोक से देवता भी लालायित रहते हैं।
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