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इंदौर। मध्यप्रदेश में कोविड-19 वायरस के पांच नए म्यूटेशन एक्टिव हैं, जो तेजी से संक्रमण फैला रहे हैं। नए स्ट्रेन का पता लगाने के लिए फरवरी में 204 सैंपल नई दिल्ली भेजे गए थे। इन्हीं की जांच में पता लगा है कि यूके और साउथ अफ्रीका के वैरिएंट इंदौर के मरीजों में भी मिले हैं। नए स्ट्रेन ना केवल संक्रमण की दर बढ़ा रहे हैं, बल्कि एंटीबॉडी पर भी असर डालने की क्षमता रखते हैं।
नए वैरिएंट को लेकर यह रिपोर्ट दो महीने पहले आ चुकी है, लेकिन मध्यप्रदेश सरकार ने इसे अब तक सार्वजनिक नहीं किया है। पहले यही कहा गया कि यूके का स्ट्रेन इंदौर में मिला है और यह इतना घातक नहीं है। जो अब गलत साबित हुई है। नए वैरिएंट प्रतिरोधक क्षमता को नुकसान पहुंचा रहे हैं, इस वजह से लोग छह से आठ महीने में दोबारा संक्रमित हो रहे हैं। टीके लगने के बाद भी वायरस से बच नहीं पा रहे। इंदौर में लंबे समय से संक्रमण दर 18% से ज्यादा बनी हुई है।
N501Y- यह 10 से 20 गुना अधिक तेजी से संक्रमण फैलाता है। शरीर में जो एंटीबॉडी बनी होती है, उसे कमजोर करने की कोशिश करता है।
L452R- यह संक्रमण का फैलाव बढ़ा देता है। प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बननेे से रोकता है। इसकी वजह से कमजोरी महसूस होती है।
E484K/Q- इसे स्कैप म्यूटेशन भी कहते हैं। यह प्रतिरोधकता को कमजोर करता है। शरीर में एंटीबॉडी बने रहने की अवधि को भी प्रभावित करता है।
N440K- यह भी प्रतिराेधक क्षमता पर हमला करते हुए उसे कम करता है। वायरस शरीर की नेचरल इम्युनिटी को नुकसान पहुंचाता है।
S477N- वायरस इंसानी कोशिकाओं में ज्यादा एक्टिव हो जाते हैं। नया म्यूटेशन वायरस और कोशिकाओं के जोड़ को ज्यादा मजबूत करता है।
अफसर नहीं बता रहे- कितने वैरिएंट मिले
अधिकारी मान चुके हैं कि म्यूटेशन हुआ है, लेकिन यह नहीं बता रहे हैं कि कितने वैरिएंट मिले हैं। सूत्रों के मुताबिक 5 स्ट्रेन हैं, जो संक्रमण बढ़ा रहे हैं। नोडल अधिकारी डॉ. अमित मालाकार कहते हैं कि अभी तक हमें रिपोर्ट्स नहीं मिली है, लेकिन यूके वेरिएंट के मरीज मिले हैं। MGM कॉलेज के डीन डाॅ. संंजय दीक्षित मानते हैं कि वायरस का म्यूटेशन हुआ है।
खून के थक्के जमा रहा वायरस, 3% लोगों को हार्ट प्राॅब्लम
भर्ती हुए मरीज को देखकर कई बार लगता है कि उसमें सुधार है, लेकिन फिर अचानक उसे हार्ट में प्राॅब्लम होने लगती है। डॉक्टरों के अनुसार वायरस का जहर शरीर में खून के थक्के जमा रहा है। इस वजह से हर 100 में से 3-4 मरीजों में यह समस्या देखी जा रही है। कुछ जांचों के बाद उन्हें खून पतला करने की दवा भी दी जाती है। घर जाने के 3-4 महीने तक यह दवा लेना पड़ती है। चोइथराम के चेस्ट फिजिशियन डॉ. गौरव गुप्ता बताते हैं कि मेडिकल भाषा में इसे थ्रम्बोसिस कहते हैं।
मध्यप्रदेश में अब नए केस से ज्यादा मरीज ठीक हो रहे
राज्य में रविवार को 12,662 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए। 13,890 लोग ठीक हुए और 94 की मौत हो गई। अब तक 5 लाख 88 हजार 368 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 4 लाख 95 हजार 367 लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 5,812 लोगों की मौत हो चुकी है। 87,189 मरीज ऐसे हैं जिनका इलाज चल रहा है।
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