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यूनिक समय, नई दिल्ली/मथुरा। राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं किसान नेता चौधरी अजित सिंह आखिरकार कोरोना से जंग हार गए। हरियाणा के गुरुग्राम स्थित मेदांता हास्पीटल में उन्होंने आज सुबह आखिरी सांस ली। उनके निधन की खबर से पार्टी के कार्यकर्ता ही नहीं बल्कि किसान भी स्तब्ध रह गए। अब रालोद की सभा में कभी भी किसानों के बीच ‘राम-राम सा’ की आवाज सुनाई नहीं देगी। वह हर सभा में अपनी शुरुआत ‘राम-राम सा’ के साथ करते थे। चौधरी अजित सिंह के जाने की कमी सालों साल कार्यकर्ताओं को खलेगी। उनकी सादगी का हर कोई कायल था। वह सर्वोच्च शिखर पर पहुंचने के बाद भी जमीन से भी जुड़े रहे। किसानों की आवाज बनकर वह संसद में बोले। केंद्रीय मंत्री होने पर भी उनके पास कोई सहजता से पहुंच जाता था। वह सात बार सांसद और तीन बार केंद्रीय मंत्री बने। उनका मथुरा से काफी लगाव था। वह इसे दूसरा बागपत मानते थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुख जाहिर करते हुए कहा कि वे किसानों के हक के लिए हमेशा लड़ाई लड़ते रहे। केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि उन्होंने हमेशा किसानों-मजदूरों की आवाज उठाई और उनके लिए हमेशा समर्पित रहे। कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा है कि चौधरी अजित सिंह का असमय निधन का समाचार सुनकर वे बेहद दुखी हुए हैं। महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा कि अजित सिंह किसानों की आवाज थे। उनके जाने से किसान राजनीति को बहुत नुकसान हुआ है। पूर्व प्रधानमंत्री स्व. चरण सिंह के शिष्य रहे मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने अजित सिंह को अपना दोस्त बताया। कहा कि उनके निधन से किसानों की एक आवाज शांत हो गई वहीं उन्हें निजी तौर पर भी खासी क्षति हुई है।
समाजवादी पार्टी के नेता राजेन्द्र चौधरी ने कहा कि चौधरी अजित सिंह किसानों के मसीहा थे। उन्होंने किसानों के हक के लिए जो आन्दोलन शुरू किया था, उसे अखिलेश यादव और अजित सिंह के पुत्र जयंत चौधरी साथ मिलकर पूरा करेंगे। सपा नेता ने बताया कि समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल साथ मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ेंगे और जीतेंगे।
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