समर्पण: ड्यूटी के दौरान मां के निधन की आई कॉल, फिर भी घर नहीं गया एंबूलेंस चालक, करता रहा काम

मैनपुरी। कोरोना वायरस के चलते पूरे देश में हाहाकार मचा हुआ है। रोज कोरोना से संक्रमित हजारों मरीजों की मौत हो रही ह।. वहीं, इस महामारी में लोगों की लाचारी का कई लोग फायदा भी उठा रहे हैं। कोई ब्लैक में काफी महंगे कीमत पर दवाइयां बेच रहा है तो कहीं एंबुलेंस चालक थोड़ी दूर तक ले जाने के लिए मरीजों से हजारों रुपए की डिमांड कर रहे हैं। ऐसे कई मामलों में कई राज्यों में एबुलेंस चालक गिरफ्तारी भी हुई है। लेकिन इन सभी के बीच मैनपुरी में एक एंबुलेंस चालक ने अपने सेवा भाव और निर्णय से सबको चौंका दिया है। अब उसकी चर्चा पूरे जिले में हो रही है।

दरअसल, उत्तर प्रदेश के मैनपुरी के रहने वाले प्रभात यादव ऐंबुलेंस चालक हैं। 15 मई की रात को उनके पास कॉल आई कि उनकी मां का निधन हो गया है। उस समय प्रभात मरीज को लेकर अस्पताल जा रहे थे। ऐसे में उनके पास लगातार फोन आ रहे थे। लेकिन प्रभात ने पहले मरीज को अस्पताल पहुंचाना अपना फर्ज समझा। लेकिन खास बात यह है कि वे उस मरीज को अस्पताल पहुंचाने के बाद भी घर नहीं गए। बल्कि सुबह तक प्रभात ने 15 मरीजों को अस्पताल पहुंचाया। वे अपनी शिफ्ट खत्म करने के बाद ही घर गए।

प्रभात यादव पिछले 9 साल से 108 सर्विस ऐंबुलेंस चला रहे हैं। पिछले साल मार्च में, जब सभी जिला ऐम्बुलेंस कोविड रोगियों के लिए निर्धारित किए गए थे, वह भर्ती होने वाले पहले लोगों में से थे। उनकी कोविड ड्यूटी नवंबर तक जारी रही। इस साल भी प्रभात को अप्रैल में फिर से कोविड ड्यूटी पर लगाया गया था। वहीं, मथुरा की 102 और 108 एम्बुलेंस सेवाओं के कार्यक्रम प्रबंधक अजय सिंह ने कहा कि मैंने प्रभात को मां के दाह संस्कार के बाद कुछ दिनों के लिए घर पर रहने के लिए कहा था। लेकिन वह कोरोना मरीजों की मदद करना चाहता था। वह एक समर्पित कर्मचारी है।

सुबह की शिफ्ट के लिए रिपोर्ट किया
प्रभात के समर्पण को देखते हुए अजय ने उसे मथुरा से मैनपुरी के लिए परिवहन की व्यवस्था कराई, जिस दिन उनकी मां की मृत्यु हुई थी। क्योंकि लॉकडाउन के चलते प्रभात को कोई पब्लिक परिवहन नहीं मिल रहा था। प्रभात अगले दिन 1.30 बजे वापस आ गया और सुबह की शिफ्ट के लिए रिपोर्ट किया।

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