लैब के चूहों पर नहीं, गुजरात में भिखारियों पर ड्रग्स का ट्रायल कर रहे माफिया…

आशीष चौहान, अहमदाबाद
किसी भी दवा का ट्रायल चूहों पर किया जाता है लेकिन गुजरात के अहमदाबाद में ड्रग्स माफिया अपनी नई सिंथेटिक ड्रग्स का परीक्षण करने के लिए भिखारियों को निशाना बना रहे हैं। यहां पर गुपचुप भिखारियों को ड्रग्स देकर उनके प्रभाव पर नजर रखी जा रही है।

यदि ड्र्ग्स का ‘ट्रायल’ सफल हो जाती है, तो इसे ड्रग्स माफिया ब्लैक मार्केट के जरिए लोगों तक पहुंचाते हैं। अगर ट्रायल सफल नहीं होता तो भिखारियों पर ड्रग्स के साइड इफेक्ट्स पर कोई ध्यान भी नहीं देता।

कई बार भिखारियों की जान को हो जाता है खतरा
माफिया आमतौर पर भिखारियों और बेघर लोगों को शहर के चारदीवारी क्षेत्रों के साथ-साथ रेलवे स्टेशनों और बस टर्मिनस से उठा लेते हैं। कई मामलों में, तो ड्रग्स ट्रायल के दौरान भिखारियों का जीवन खतरे में पड़ गया।

‘नाक से दो दिनों तक बहता रहा खून’
सलीम मोहम्मद का घर कालूपुर रेलवे स्टेशन के बाहर फुटपाथ है। 38 वर्षीय सलीम भीख मांगता है। वह गांजा पीता है। उसने बताया कि एक दिन दूसरा भिखारी ने उसे नई ड्रग्स ट्राय करने को कही। उसने वह ड्रग्स ली, लेकिन कुछ ही देर बाद उसे उल्टियां होने लगीं और नाक से खून बहने लगा।

मोहम्मद की तबीयत दो दिनों तक खराब रही। दो दिनों बाद एक अज्ञात व्यक्ति आया और उसके बारे में पूछताछ की। वह मोहम्मद को एक डॉक्टर के पास ले गया जिसने उसे कुछ दवा दी। उसके बाद मोहम्मद की हालत में सुधार हुआ।

‘हिंसक हो दीवार पर पटके हाथ, टूटे’
खमासा में फुटपाथ पर रहने वाला 25 साल का महेश दंतानी दिहाड़ी मजदूर था। काम नहीं मिलने पर लॉकडाउन में वह भिखारी बन गया। उसे सूंघने के लिए कुछ पाउडर जैसा सामान दिया गया। वह पाउडर लेकर वह हिंसक हो गया। उसने अपने हाथों को बार-बार एक दीवार पर इतनी जोर से मारा कि उसके दोनों अंग टूट गए।

‘दो दिनों तक रहा बेहोश, बेटी को नहीं मिला खाना तक’
इसी तरह, अपनी पांच महीने की बेटी के साथ सारंगपुर पुल के पास रहने वाली 24 वर्षीय मेहरुन्निसा शेख को दो अज्ञात लोगों ने एक गोली दी, जिसने उसे आश्वस्त किया कि यह उसे विभिन्न बीमारियों से बचाएगा। उसने बताया, ‘मैंने पानी के साथ टैबलेट खाई। फिर उन आदमियों ने हमें कुछ दूध दिया जिसे मैंने और मेरी बेटी ने खा लिया। 15 मिनट के बाद मुझे चक्कर आने लगे। ऐसा लगा जैसे सारंगपुर पुल मुझ पर गिरने वाला है। मैं लगभग एक दिन तक ऐसी ही स्थिति में रहा।’

शेख ने कहा, ‘लगभग डेढ़ दिन बाद जब मुझे होश आया, तो मैंने पाया कि मेरे बच्चे की तबीयत खराब हो गई थी क्योंकि मैंने उसे ठीक से खाना नहीं दिया था।’ कालूपुर और पंजरापोल इलाकों में फुटपाथ पर रहने वाले 24 वर्षीय राजू रोहित और 20 वर्षीय रेखा कुमारी को भी कुछ ऐसा ही अनुभव हुआ।

‘दवा नहीं मिली तो ब्लेड से काटे हाथ’
रोहित को एक गोली दी गई जिसे उसने कुचल कर सूंघा। वह 2-3 दिनों के लिए होश खो बैठा। रेखा ने बताया कि इन नशीले पदार्थों को लेने के बाद, मैं ठीक से काम करने, चलने या बोलने में असमर्थ हूं। जब मुझे दवा नहीं मिलती है, तो मैंने ब्लेड से अपना हाथ काट दिया।’

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