मथुरा। भोर बेला में श्रीकृष्ण की प्रियातमा राधारानी का जन्म हुआ तो समूचा ब्रज आनंद और उल्लास की खुशी में झूठ उठा। ब्रज के रावल से लेकर मथुरा, वृंदावन, गोवर्धन, राधाकुंड और बरसाना तक राधे-राधे के उदघोषोंं के स्वर सुनाई दिये। बरसाना में रग-बिरंग रोशनी से सजा श्रीमहल तो संकरी गलियों में बधाई लेती सखियां ऐसा लगा मानो द्वापर युग अवतरित हो गया है। बरसाने में स्वर्ग से सुंदर नजारा देखने को मिल रहा था। लाड़िली जी के जन्म के साक्षी में ब्रज में आये लाखों श्रद्धालु बने। रावल व बरसाना में भोर की बेला में जन्म का अभिषेक किया गया तो राधाकुंड में उनकी लीलाओं का अनुसरण करते हुए मध्यान्ह में अभिषेक किया गया। राधा जी के जन्म पर श्रद्धालु नृत्य व थिरकन में मस्त नजर आ रहे थे।
श्रद्धालुओं ने राधारानी के जन्मोत्सव के अद्भुत पल के साक्षी बनने के लिए पूरी रात इंतजार किया। जैसे ही भोर बेला हुई और राधाजी प्रकट हुई तो लाखों हाथ ऊपर हो गए और मुंह से बस राधे राधे के स्वर सुनाई दिए। श्रद्धालुओं ने गहवरवन की परिक्रमा लगाई। भक्तों ने मान सरोवर में स्नान किया। लाडिली जी मंदिर में राधारानी का जन्म के बाद सफेद छतरी के दर्शन हुए। गोकुल के समीप राधारानी के गांव रावल में जन्म उत्सव की धूम रही। गोवर्धन के राधाकुंड में हजारों भक्तों ने घाट पर बैठकर सामूहिक राधाकृपाकटाक्ष का पाठ किया। राधाकुंड श्रीरघुनाथ दास गोस्वामी गद्दी के प्राचीन राधागोपी नाथ मंदिर, राधागोविंद मन्दिर, राधाकालाचांद मन्दिर में गद्दीनशीन महंत केशव दास महाराज ने पंचामृत से अभिषेक किया। भक्तों ने राधे राधे के उदघोषों के बीच गिरिराज जी की परिक्रमा लगाई। भक्तों ने राधाकुंड में दीपदान कर मनोकामना मांगी।
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