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रियाद। सऊदी अरब ने सुन्नी मुसलमानों के इस सबसे बड़े संगठन पर बड़ी कार्रवाई की है। सऊदी अरब ने इस संगठन को प्रतिबंधित कर दिया है। सऊदी सरकार ने इसे आतंकवाद का एंट्री गेटों (प्रवेश द्वार) में से एक और समाज के लिए खतरा करार दिया है। सऊदी इस्लामी मामलों के मंत्रालय ने शुक्रवार को इस संबंध में मस्जिदों जुमे की नमाज के बाद मस्जिदों से घोषणा कर लोगों को तब्लीगी जमात से नहीं जुड़ने की अपील की और चेतावनी दी कि सुन्नी इस्लामी तब्लीगी जमात समाज के लिए खतरा है।
उधर, ट्वविटर पर लोग इस फैसले को लेकर प्रतिक्रिया दे रहे हैं। एक यूजर ने लिखा- याद है कैसे भारतीय उदारवादियों ने तबलीगी जमात का बचाव किया था और उनका खुलासा करने वालों को ‘इस्लामोफोबिक’ करार दिया था। सऊदी अरब ने आतंकी संबंधों के चलते तबलीगी जमात को बैन कर दिया है। एक अन्य यूजर ने कहा- ‘सऊदी अरब ने ‘आतंकवाद के दरवाजों में से एक’ बताते हुए तबलीगी जमात को प्रतिबंधित किया है। इस्लामिक मामलों के मंत्रालय ने मस्जिदों को निर्देश दिए हैं कि वे जुमे की नमाज के दौरान जमात के खिलाफ लोगों को चेताएं और भारत में, दिल्ली पुलिस तबलीगी जमात के मुखिया, मौलाना साद का पता नहीं लगा सकी है। एक यूजर ने लिखा – वास्तव में यह फैसला सोचने पर मजबूर करताहै। इस फैसले के बाद ओआईसी (OICC) सदस्यों की प्रतिक्रिया देखना दिलचस्प होगा और भारत में भी किस तरह की प्रतिक्रियाएं होंगी?
सऊदी अरब के इस्लामी मामलों के मंत्रालय ने कहा कि इस्लामिक मामलों के महामहिम मंत्री डॉ. अब्दुल्लातिफ अल अलशेख मस्जिदों और मौलवियों से जुमे की तकरीर के दौरान तब्लीगी जमात से लोगों को न जुड़ने की चेतावनी देने का निर्देश दिया। यह उन मस्जिदों के लिए भी प्रभावी होगा, जहां जुमे की नमाज अस्थायी रूप से की जाती है। धार्मिक मामलों के मंत्रालय ने कहा कि जुमे की नमाज के बाद दिए जाने वाली तकरीर में ये विषय शामिल होने चाहिए। इस समूह से लोगों के भटकने और ब्रेन वॉश होने का खतरा, यह आतंकवाद का एंट्र्री गेट में से एक है। भले ही वह कुछ और दावा करें। उन्होंने कहा है कि लोगों को बताएं कि यह संगठन समाज के लिए खतरा है। यह भी बताएं कि सऊदी अरब में तब्लीगी सहित सभी पक्षपातपूर्ण समूहों से संबंध रखना गैर कानूनी है।
लगभग 100 साल पहले देवबंदी इस्लामी विद्वान मौलाना मोहम्मद इलयास कांधलवी ने एक धार्मिक सुधार आंदोलन के रूप में तब्लीगी जमात की स्थापना की थी। तब इसका विशेषकर उद्देश्य इस्लाम के मानने वालों को धार्मिक उपदेश देना था। पूरी तरह से गैर-राजनीतिक इस जमात का मकसद पैगंबर मोहम्मद के बताए गए इस्लाम के पांच बुनियादी अरकान (सिद्धातों) कलमा, नमाज, इल्म-ओ-जिक्र (ज्ञान), इकराम-ए-मुस्लिम (मुसलमानों का सम्मान), इखलास-एन-नीयत (नीयत का सही होना) और तफरीग-ए-वक्त (दावत और तब्लीग के लिए समय निकालना) का प्रचार करना है।
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