तालिबान के खौफ के बीच बेहतर कल की उम्मीद लेकर चल पड़े अफगानी

काबुल। की वापसी बेशक हंसी-खुशी भरे माहौल में नहीं रही हो, लेकिन जिंदगी कभी नहीं रुकती। पिछले कई दिनों से अफगानिस्तान में खून-खराबा और दहशत का माहौल था। क्या विदेशी और क्या देशी। हर किसी के चेहरे पर डर साफ महसूस किया जा सकता था, लेकिन अब स्थितियां फिर से सामान्य हो रही हैं। तालिबान के शासन को भले ही अभी लंबी लड़ाई लड़ना है, लेकिन लोगों की जिंदगी फिर से पटरी पर लौटने को आतुर है। कुछ दिन पहले तक बाजारों में गोलियों ठांय-ठांय गूंजती थी, अब लोग खरीदारी करने निकलने लगे हैं। दुकानों खुलने लगी हैं। महिलाएं जरूर अभी घर से कम बाहर निकल रही हैं। दुकानदारों को उम्मीद है कि जल्द सबकुछ ठीक होगा। अभी लोग नगदी से जूझ रहे हैं। लेकिन तालिबान कह चुका है कि जल्द बैंक और वित्तीय संस्थाएं खोल दी जाएंगी।

तालिबान खासकर आतंकवादी संगठनों के लिए ‘मौत का दूत’ मानी जाने वाली दुनिया की सबसे ताकतवर सेना के पास भी दिल होता है। अफगानिस्तान के बच्चों के साथ अमेरिकी सैनिक मस्ती करता हुआ। बता दें कि अमेरिकी सेना 31 अगस्त तक अफगानिस्तान में रहेगी। इस दौरान वो लोगों की मदद करते देखी जा सकती है। दूसरी तस्वीर काबुल के मार्केट की है।

ये काबुल का जगमगाता मार्केट है। इसे देखकर कोई नहीं कह सकता है कि यहां कुछ दिन पहले तालिबानियों की दहशत फैली हुई थी। धीरे-धीरे सब अपनी पटरी पर लौट रहा है।

कितने भी बड़े संकट आएं, जिंदगी कुछ दिन बेपटरी रहने के बाद फिर से पुराने तौर-तरीकों पर लौट आती है। काबुल में दुकानों पर भीड़ नहीं है, लेकिन दुकानदारों को पता है कि बिना खाए-पीये आदमी कितने दिन घर में बैठा रहेगा, सामान खरीदने तो घर से निकलना ही होगा।

पंजशीर प्रांत को छोड़ दिया जाए, तो अफगानिस्तान में खून-खराबा रुक चुका है। हालांकि तालिबान के लड़ाके जगह-जगह तैनात हैं और लगातार सर्चिंग कर रहे हैं।

तालिबान और अफगानी सेना के बीच जारी युद्ध के चलते लोग घरों में कैद हो चुके थे। अब जबकि स्थितियां सामान्य हो रही हैं, सबसे पहले किराना, फल-सब्जी की दुकानें खुलना शुरू हो गई हैं।

काबुल में धीरे-धीरे हालात सामान्य हो रहे हैं। दुकानें खुलने लगी हैं, दुकानदारों को उम्मीद है कि फिर से बाजारों में रौनक लौटेगी। वहीं, तालिबान का कहना है कि जल्द बैंक और वित्तीय संस्थान ओपन होंगे।

तालिबान भी बाजार खोलने के लिए दुकानदारों को अनुमति दे चुका है। दुकानों पर अभी ग्राहकी कम है। लेकिन ये दुकानें बयां कर रही हैं कि अफगानिस्तान पटरी पर लौट रहा है।

Taliban के काबुल पर कब्जा करने से पहले कॉफी की दुकानें और रेस्तरां महिला और पुरुष दोनों से भरे रहते थे। लेकिन इस समय ग्राहक ही नहीं आते। दुकानदार रोजी-रोटी के संघर्ष कर रहे हैं। लेकिन उन्हें उम्मीद है कि जल्द हालात सामान्य होंगे।

काबुल में कपड़ा आदि का मार्केट खुलने लगा है। लेकिन ग्राहकी अभी बहुत कम है। जब तक अफगानिस्तान में सरकार का गठन नहीं हो जाता, बैंक आदि खुलने में देरी हो सकती है।

काबुल का फल मार्केट। बाजार में खरीदारी करने महिलाएं कम निकल रही हैं। इस समय बैंक बंद होने से लोगों को नकदी के संकट का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन जिंदगी फिर भी चल रही है।

 

 

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