सुनील गौड़, फरीदाबाद
ई-रिक्शा चलाते हुए यह ममता हैं। वह सिर्फ ई-रिक्शा नहीं चलाती हैं, बल्कि इससे परिवार भी चलाती हैं। दरअसल, कुछ महीने पहले कोरोना वायरस से उनके पति की मौत हो गई। इसके बाद उनके सामने रोटी तक का संकट खाड़ा हो गया। परिवार का गुजर बेहद मुश्किल हो गया था। तब उन्होंने ई-रिक्शा चलाने लगीं।
मूल रूप से बिहार के छपरा जिले के रहने वाले रंजन गिरी अपने बीबी-बच्चों के साथ करीब 12 साल पहले फरीदाबाद में आए थे। दिव्यांग रंजन भारत कॉलोनी में रहते थे। वह ऑटो चलाकर अपने परिवार का निर्वाह करते थे। 2 साल पहले उन्होंने अपने लिए किश्त में एक ई-रिक्शा लिया और चलाने लगे। उस समय उनकी पत्नी ममता देवी एक फाइबर कंपनी में नौकरी करती थीं।
लोगों ने मदद करने की कोशिश की, उन्हें पसंद नहीं आया
कोरोना वायरस के कारण लगे लॉकडाउन में उनकी नौकरी चली गई। उधर पिछले साल रंजन गिरी कोरोना संक्रमित हो गए, जिससे उनकी मौत हो गई। ऐसे में 35 साल की ममता के सामने मुसीबतों का पहाड़ खड़ा हो गया, लेकिन वह हिम्मत नहीं हारीं। इस दौरान लोगों ने उनकी मदद करने की कोशिश की, जो उन्हें पसंद नहीं आया। वह कहती हैं, ‘हमें दूसरों के सामने गिड़गिड़ाने के बजाय स्वावलंबी होना चाहिए। मेहनत करके दो रोटी खानी चाहिए।’
हर अड़चनों को रौंदते हुए दौड़ाती हैं रिक्शा
पति की मौत के बाद ममता को जब नौकरी के आसार नहीं नजर आए तो उन्होंने ई-रिक्शा चलाने का निर्णय लिया। वह कहती हैं कि यह सब उनके लिए इतना आसान नहीं था। उन्होंने पहले ई-रिक्शा चलाना सीखा। जब चलाने आ गया तो वह शहर की सड़कों पर दौड़ाने लगीं। वह खेड़ी पुल से बड़खल पुल के बीच सवारियों को लाने-ले जाने का काम करती हैं। हालांकि इस बीच उन्हें ऑटो चालकों से अड़चन भी आती हैं, लेकिन वह उन बातों की तरफ ध्यान न देकर अपने काम में व्यस्त रहती हैं। ममता कहती हैं कि उसने ई-रिक्शा की किश्त भी पूरी जमा चुकी हैं।
Leave a Reply