नई दिल्ली। भारत में में तेजी से बढ़ते कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए लोगों के मन में डर है कि मानसून के साथ ही कोरोना का ग्राफ भी बढ़ने लगेगा। हाल में ही आए एक शोध में इस बात की जानकारी दी गई थी कि मानसून के कारण बढ़ने वाली ह्यूमिडिटी के कारण कोरोना का संक्रमण बढ़ने की संभावना बढ़ जाएगी। हालांकि लोगों के अंदर कोरोना को लेकर बैठे डर के बाद एम्स के डायरेक्टर डॉ रणदीप गुलेरिया ने बताया कि ऐसा नहीं है। डॉ गुलेरिया ने बताया कि मानसून के साथ कोरोना वायरस के संक्रमण में कोई बड़ा बदलाव देखने को नहीं मिलेगा।
बता दें कि हाल में ही आईआईटी बॉम्बे के दो प्रोफेसरों ने अपने शोध में इस बात का दावा किया था कि मानसून आने के साथ कई राज्यों में कोरोना और खतरनाक रूप ले लेगा। इसके पीछे उन्होंने तर्क दिया था कि मानसून के साथ ही ह्यूमिडिटी बढ़ जाती है जो कोरोना संक्रमण को बढ़ा सकती है. हालांकि इन अध्ययनों के विपरीत एम्स डायरेक्टर डॉ गुलेरिया ने कहा कि मानसून काल में भी कोरोना की रफ्तार में कोई बदलाव देखने को नहीं मिलेगा।
डॉ गुलेरिया ने कहा, मानसून आने के साथ कोरोना में किसी भी तरह का कोई बदलाव देखने को मिलेगा. कोरोना जिस रफ्तार से बढ़ रहा है उसकी गति वैसी ही रहने का अनुमान है। ये कुछ ऐसा ही है कि लोग कह रहे थे कि गर्मी में कोरोना का संक्रमण खत्म हो जाएगा लेकिन ऐसा होता दिखाई नहीं दिया था।
डॉ गुलेरिया ने बताया कि कई लोग उनसे सवाल करते हैं कि जिसे एक बार कोरोना का संक्रमण हो जाएगा क्या वह ठीक होने के बाद भी इस संक्रमण की चपेट में आ सकते हैं. मुझे लगता है ऐसा बेहद कम संभावना है कि जो मरीज एक बार कोराना से पीड़ित हो उसे दोबारा ये बीमारी होगी. इसका कारण भी साफ है कोरोना के इलाज के दौरान शरीर में ऐसे कुछ एंटीबॉडीज बनते हैं जो आपकी इम्युनिटी को मजबूत करते हैं. हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि दवा से शरीर में जो इम्युनिटी बनती है वह कितने दिन रहती है यह अभी तक पता नहीं लगाया जा सका है.
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