नई दिल्ली। ये पहला मौका होगा जब कोई भारतीय एयरलाइन उत्तरी ध्रुव के ऊपर से उड़ान भरेगी। ये गौरव एयर इंडिया को हासिल होने जा रहा है। इसी 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर एयर इंडिया की दिल्ली से सैन फ्रांसिस्को जाने वाली फ्लाइट उत्तरी ध्रुव के ऊपर से होकर जाएगी। ये रास्ता सैन फ्रांसिस्को जाने वाले सामान्य रास्ते के मुकाबले छोटा किंतु चुनौतीपूर्ण है। भारतीय विमानन क्षेत्र के लिए ये ऐतिहासिक उपलब्धि होगी।
इसके लिए एयर इंडिया का विमान दिल्ली से किर्गिस्तान, कजाखिस्तान, रूस होकर अटलांटिक महासागर को पार कर कनाडा होते हुए अमेरिका में प्रवेश करेगा। इस रास्ते की दूरी 8 हजार किलोमीटर है, जिसे पूरा करने में एयर इंडिया को सिर्फ 13 घंटे लगेंगे। जबकि 12 हजार किलोमीटर लंबे सामान्य रास्ते में 14.5 घंटे का समय लगता है।
सामान्य रास्ता दिल्ली से बांग्लादेश, म्यांमार, चीन और जापान होकर जाता है और विमान को प्रशांत महासागर पार करने के बाद अमेरिका में प्रवेश मिलता है।
एयर इंडिया के एक अधिकारी के अनुसार दिल्ली-फ्रांसिस्को की इस ऐतिहासिक उड़ान को कैप्टन रजनीश शर्मा और कैप्टन दिग्विजय की जोड़ी उड़ाएगी, जिन्हें अंतरराष्ट्रीय उड़ानों का लंबा अनुभव है। सुबह तड़के साढ़े तीन बजे रवाना होने वाली फ्लाइट में 12 क्रू सदस्यों के अलावा 300 यात्री सवार होंगे। इन सभी के लिए ये सफर अविस्मरणीय व रोमांचक होने वाला है।
इसी के साथ एयर इंडिया अमेरिका के लिए तीनो रूटों का इस्तेमाल करने वाली विश्व की पहली एयरलाइन बन जाएगी। तीसरा रूट वाया यूरोप है जिसका इस्तेमाल एयर इंडिया अमेरिका से लौटती उड़ानों के लिए करती है। अभी मध्य पूर्व में सिर्फ एतिहाद एयरलाइन ही अमेरिका जाने के लिए उत्तरी ध्रुव के रास्ते का इस्तेमाल करती है।
उत्तरी ध्रुव होकर जाने वाली उड़ान को काफी चुनौतीपूर्ण माना जाता है। क्योंकि एक तो इस इलाके के चुंबकीय क्षेत्र में परिवर्तन होता रहता है। जबकि दूसरी तरफ आपात स्थिति में डायवर्जन के लिए एयरपोर्ट के सीमित विकल्प उपलब्ध हैं। इसके अलावा सौर विकिरण तथा शून्य से नीचे पचास डिग्री तापमान होने के कारण विमान ईधन के जमने का खतरा रहता है।
उत्तरी ध्रुव के छोटे रास्ते से सैन फ्रांसिस्को की उड़ान में दूरी और समय की बचत के साथ ईधन की बचत भी होगी। इसके अलावा कार्बन उत्सर्जन में भी कमी आएगी। एयर इंडिया सूत्रों के अनुसार उत्तरी ध्रुव के रास्ते उड़ान भरने पर विमान के आकार और क्षमता के अनुसार प्रति उड़ान 2000-7000 किलोग्राम तक की बचत के साथ कार्बन उत्सर्जन में 6000-21000 किलोग्राम तक की कमी आने की संभावना है।
उत्तरी ध्रुव के ऊपर से उड़ान भरने की चुनौती उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने देश की सभी एयरलाइनों के समक्ष रखी थी। इस संबंध में उसने 6 अगस्त को सर्कुलर जारी किया था, लेकिन एयर इंडिया के अलावा किसी निजी एयरलाइन ने इसकी हिम्मत नहीं दिखाई।
डीजीसीए के नियमों के मुताबिक उत्तरी ध्रुव के रूट से उड़ान भरने से पहले एयर इंडिया इस रूट का अध्ययन करने के बाद यात्री विमान उड़ाने की अपनी योजना डीजीसीए को सौंपेगी। इसमें उसे अन्य बातों के अलावा आपात स्थिति में उतरने के लिए ध्रुवीय क्षेत्र में स्थिति वैकल्पिक हवाई अड्डों का ब्यौरा भी देना होगा।
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