यूनिक समय ,नई दिल्ली। पैरासिटामोल को लेकर चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। एक हालिया शोध में बताया गया है कि लंबे समय तक इसका इस्तेमाल करने से गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। इस दवा का सेवन करने से 65 साल और उससे अधिक उम्र के वयस्कों में गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल, हृदय विफलता (हार्ट फेल), उच्च रक्तचाप (हाइपरटेंशन), पेप्टिक अल्सर और गुर्दे से संबंधित जटिल बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है।
बता दें, इस दवा को आमतौर पर दर्द और बुखार के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन लंबे समय तक इसको लेना खतरनाक हो सकता है।
एनआईएचआर बायोमेडिकल रिसर्च सेंटर के प्रोफेसर वीय झांग का कहना है कि पैरासिटामोल को अक्सर पुराने जोड़ों के दर्द (ऑस्टियोआर्थराइटिस) के इलाज के रूप में सुझाया जाता है। खासकर बुजुर्गों के लिए इसे काफी सही समझा जाता है क्योंकि वे अन्य दवाओं से संबंधित जटिलताओं के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं। हालांकि, इस दवा का लंबे समय तक खाना उन्हें गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं की ओर धकेल सकता है।
हालांकि, कुछ अध्ययनों ने दर्द से राहत देने में पैरासिटामोल की प्रभावशीलता पर सवाल उठाने वाले सबूत प्रदान किए हैं, जबकि अन्य अध्ययनों ने लंबे समय तक इसके उपयोग से गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल संबंधी बीमारियों जैसे अल्सर और रक्तस्राव, के बढ़ते खतरे को दर्शाया है।
ब्रिटेन के नॉटिंघम विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए अध्ययन में पाया गया कि पैरासिटामोल खाने से पेप्टिक अल्सर रक्तस्राव और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल रक्तस्राव के खतरे में क्रमशः 24 प्रतिशत और 36 प्रतिशत की वृद्धि होती है। जबकि क्रोनिक किडनी रोग का खतरा 19 प्रतिशत, हृदय विफलता नौ प्रतिशत और उच्च रक्तचाप सात प्रतिशत तक बढ़ सकता है।
आर्थराइटिस केयर एंड रिसर्च जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में शोधकर्ताओं ने कहा कि यह अध्ययन बुजुर्गों में गुर्दे, हृदय और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल संबंधी बीमारियों की एक महत्वपूर्ण घटना को दर्शाता है, जिन्हें ब्रिटेन में बार-बार एसिटामिनोफेन (पैरासिटामोल) निर्धारित किया जाता है।
डॉक्टरों ने सलाह दी है कि पैरासिटामोल का उपयोग केवल डॉक्टर की सिफारिश पर और आवश्यकता पड़ने पर ही करें। इसके लंबे समय तक इस्तेमाल किए जाने से बचना चाहिए, खासकर यदि आपको पहले से कोई हृदय या किडनी से जुड़ी समस्या है।
दर्द और बुखार के इलाज के लिए अन्य उपचार विकल्पों पर विचार किया जा सकता है। जीवनशैली में बदलाव और प्राकृतिक उपचार जैसे हल्की एक्सरसाइज और संतुलित आहार को प्राथमिकता देना भी फायदेमंद हो सकता है।
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