नई दिल्ली। आपने बैंकों का नाम तो खूब सून होगा लेकिन क्या आपने ‘अनाज बैंक’ का नाम सूना है। जी हां उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद जिले के जनजाति समुदाय कोल और मुसहर जाति बाहुल्य कोरांव और शंकरगढ़ गांव में एक ‘अनाज बैंक’ है जो यहां के गरीबों की पेट भर रहा है। इस ‘अनाज बैंक’ की स्थापना जीबी पंत इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज झुसी में प्रफेसर सुनीत सिंह ने खेला है। सुनीत सिंह ने स्थानीय एनजीओ प्रगति वाहिनी फाउंडेशन द्वारा चलाए जाने वाले एक एनजीओ को ‘अनाज बैंक’ खोलने का आइडिया दिया था। अब यह अनाज बैंक करीब 20 गांवों में पहुंच गया है जिससे करीब 300 परिवारों के पेट की आग बुझाने में मदद मिल रही है। सुनीत सिंह का कहना है कि ‘कोई भी व्यक्ति एक किलो चावल देकर इस अनाज बैंक का सदस्य बन सकता है। जरूरत पड़ने पर वह पांच किलो चावल इस बैंक से उधार ले सकता है जिसे 15 दिनों के अंदर लौटाना होता है। इसके लिए उनलोगों से कोई ब्याज नहीं लिया जाता है।’ सुनित सिंह और उनके साथियों ने इस पहल को जिले के अन्य ब्लॉकों में भी शुरू करने की योजना बनाई है और अपने उद्देश्य को हासिल करने के लिए एक खास संगठन भी बनाया है। उनके संगठन का नाम है, ‘भूख से मुक्त इलाहाबाद’।
सुनीत सिंह का कहना है कि वो इलाहाबाद को भूख से मुक्त करने के मकसद से 22 सितंबर से अभियान की शुरुआत करेंगे। 2011 की जनगणना के मुताबिक, इन ब्लॉकों में करीब 10,000 वनवासी समुदाय जैसे मुसहर, दहिकर और नट रहते हैं।’ संगठन दान में दिया चावल जमा करेगा और गांवों में ड्रम रखवा देगा ताकि किसी को भूखे न सोना पड़े। उन्होंने कहा, ‘हम अपनी छोटी पहल से यूनाइटेड नेशनल के 2030 तक ‘भूख मुक्त विश्व’ के लक्ष्य को हासिल करने में मदद कर सकते हैं।
Leave a Reply